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यूपी में बीजेपी की जीत का ये है गैर यादव- गैर जाटव फॉर्मूला

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव समाप्त होने के बाद बीजेपी के पक्ष में आए एग्जिट पोल के नतीजों ने बीजेपी को चुनाव परिणाम से पहले खुश होने का मौका दिया है। ज्यादातर एग्जिट पोल के नतीजों ने बीजेपी को उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड और गोवा में बहुमत मिलने के संकेत दिए हैं।

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एग्जिट पोल के नतीजों में बीजेपी को यूपी में सबसे बड़ी बढ़त मिलती दिखाई दे रही है। इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल के मुताबिक बीजेपी को यूपी में स्पष्ट बहुमत की भविष्यवाणी की है। इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल के मुताबिक यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 251-279 सीटें मिल रही हैं।

अगर तमाम एग्जिट पोल की भविष्‍यवाणी सही हुई तो समझा सकता है कि यूपी में बीजेपी के नए गैर यादव ओबीसी फॉमूले ने यहां पूरी तरह से काम किया है।

क्या है यूपी में बीजेपी का जातिय अंकगणित

भाजपा ने यूपी में जीत के लिए कथित छोटी जा‌ति बनाम ओबीसी और एससी की रणनीति अपनाई। बीजेपी ने गैर-यादव ओबीसी जैसे कुर्मि, कोएरिस, लोध, तेली, कुम्हार और कहारों के बीच अपना समर्थन आधार बढ़ाने की कोशिश की। बीजेपी ने इन जातियों के उम्मीदवारों को टिकट देकर उन्हें साधने की कोशिश की।

लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी ने इस रणनीति पर काम किया और यही कारण रहा कि यूपी बीजेपी अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी की जगह प्रदेश में भाजपा की कमान ओबीसी नेता केशव प्रसाद मौर्य को दी। भाजपा ने करीब 40 फीसदी टिकट गैर-यादव ओबीसी जातियों को दिया।

बीजेपी गठबंधन सहयोगी अपना दल और सुहेल्देव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) का समर्थन ओबीसी में भाजपा के समर्थन का आधार हैं। अनुप्रिया पटेल की अपना दल(एस) कुर्मीस की पार्टी माना जाता है।

सेंटर फॉर स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक 60 प्रतिशत गैर-यादव ओबीसी ने 2014 के चुनावों में भाजपा के लिए वोट किया था। बीजेपी की यह जातीय गणित 2017 के चुनाव में भी जारी रहा सकता है। गैर-जाटव एससी मतदाताओं के लिए भाजपा ने इसी तरह की रणनीति अपनाई।

यूपी में जाटव मायावती की बसपा का वोट बैंक माना जाता है। लेकिन, 2014 के चुनाव में गैर-जाटव मतदाता का रूख बदल गया। 2014 के लोकसभा चुनाव में, गैर-जाटव एससी मतदाताओं के 45 प्रतिशत वोट भाजपा को पड़े।

इससे पहले 53 प्रतिशत गैर-जाटव एससी वोट बैंक बसपा को जाता रहा है। बहरहाल सत्ता पर कौन काबिज होगा इसके लिए बस 11 मार्च की सुबह चुनाव परिणामों का इंतजार करना होगा।