यूपी में ऐतिहासिक जीत के साथ ही भाजपा में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर मंथन शुरू हो गया है। देश के सबसे बड़े प्रदेश में मुख्यमंत्री का चेहरा चुनते समय भाजपा आलाकमान की नजर लोकसभा चुनाव 2019 के समीकरणों पर भी टिकी रहेगी। सूबे की जनता ने ऐतिहासिक जीत देकर पार्टी पर इस बात का दबाव बढ़ा दिया है कि वह जनता के अरमानों को पूरा करे। लेकिन अनुभवी चेहरों के अभाव में पार्टी की मजबूरी नए चेहरों पर ही दांव खेलने की रहेगी।
वैसे पार्टी गलियारे में यूपी सीएम के लिए जिन नामों पर चर्चा है उसमें गृह मंत्री राजनाथ सिंह, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष केशव मौर्य, रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा, गोरखपुर के सांसद महंत योगी आदित्य नाथ के साथ भाजपा के राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा और लखनऊ के महापौर एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिनेश शर्मा का नाम शामिल है। हालांकि पार्टी के उच्च पदस्थ लोगों का कहना है कि इनके अलावा भी कोई चेहरा आगे किया जा सकता है।
राजनाथ सिंह पूरे यूपी में सर्वमान्य नेता
राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह के पक्ष में यह बात जाती है कि पूरे यूपी में सर्वमान्य नेता के रूप में भाजपा के पास वे ही एकमात्र चेहरा हैं। प्रशासनिक अनुभव के साथ उनका कद भी है। पर, इस बात की उम्मीद बेहद कम है कि पीएम मोदी उन्हें अपनी कैबिनेट के अहम ओहदे से हटाकर यूपी भेजें। उनकी गैर मौजूदगी में गृह मंत्री के कद का भाजपा का पास केंद्रीय राजनीति में कोई दूसरा चेहरा नजर नहीं आ रहा है।
केशव मौर्य
केशव मौर्य के पास प्रशासनिक तजुर्बे का अभाव है। लेकिन पिछड़ा वर्ग और हिंदुत्ववादी छवि की वजह से वे भाजपा के सबसे बडे़ ट्रंप कार्ड के रूप में नजर आ रहे हैं। उन्हें अध्यक्ष बनाने का दांव पार्टी के लिए फलदायी रहा है। मौर्य में कल्यण सिंह सरीखे गुण भी विद्यमान हैं। हिंदूत्व की छवि के साथ वे पिछडी जाति से हैं। संघ की पसंद के रूप में भी वे सबसे आगे हैं।
मनोज सिन्हा
रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा मोदी के विश्वासपात्र लोगों में हैं। पूर्वांचल से आते हैं। मंत्री के रूप में उन्होंने अपनी बेहत्तर प्रशासनिक क्षमता का भी अनुभव करा दिया है। मगर मुश्किल है कि जाति के जकड़न वाले प्रदेश में उनके भूमिहार बिरादरी की नुमाइंदगी बेहद कम है। यह बात उनकी दावेदारी के आधार को कुछ कमजोर करती है।
आदित्यनाथ के भी मुख्यमंत्री बनाने की बात कही जा रहीआदित्यनाथ
भगवा चेहरे के रूप में पार्टी का पोस्टर ब्वॉय बन चुके फायर ब्रांड सासंद महंत योगी आदित्य नाथ की भी यूपी का मुख्यमंत्री बनाने की बात कही जा रही है। प्रशासनिक क्षमता का अनुभव तो आदित्यनाथ के पास भी नहीं है। पर, इस बार के चुनाव में जिस तरह पार्टी ने उनसे प्रचार कराया है, उससे उनकी भी दावेदारी भी मानी जा रही है। हालांकि पार्टी शायद ही उनके नाम पर दांव लगाकर प्रदेश में मुसलमानों को लामबंदी का मौका दे।
श्रीकांत शर्मा
मथुरा से पहली बार जीते भाजपा के युवा चेहरे श्रीकांत शर्मा का नाम भी रेस में शामिल बताया जा रहा है। शर्मा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नजदीकी भी हैं। पार्टी ने अगर किसी अगडे़ नेता के रूप में किसी ब्राहण को कमान सौंपने का मन बनाया तो श्रीकांत शर्मा भी पार्टी नेतृत्व की पसंद हो सकते हैं।
डॉ. दिनेश शर्मा
डॉ. दिनेश शर्मा भी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में शुमार हैं। प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. शर्मा भी न सिर्फ अमित शाह बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भी करीबी माने जाते हैं। तभी वह गुजरात के प्रभारी भी बनाए गए थे। बेदाग छवि और सरल स्वभाव के साथ महापौर के रूप में शासन प्रशासन का भी अनुभव हासिल कर रखा है। संघ से भी उनकी नजदीकी रही है।