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आरएलडी को केवल एक सीट, अपना दल से भी पिछड़ गई कांग्रेस

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रचण्ड बहुमत हासिल करना भारतीय जनता पार्टी के लिए सुखद सपने के पूरा होने जैसा है। न जाने इस दिन का भाजपा कब से इंतजार कर रही थी। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस आजाद भारत के इतिहास में अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। ऐसा लग रहा है कि पीएम मोदी के ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ मिशन को पूरा करने की सबसे ज्यादा जल्दी कांग्रेस की ही है। 
 
rahul-gandhi_1488473537आज कांग्रेस की यह स्थिति ऐसी हो गई है कि क्षेत्रीय दल अपनी शर्तों पर कांग्रेस के साथ गठबंधन करते हैं और कांग्रेस पार्टी उनकी शर्तों पर चूं भी नहीं कर पाती है। इसी का परिणाम है कि यूपी में 100 सीटों में कांग्रेस को केवल 7 में जीत हासिल हो पाई। उसकी स्थिति अपना दल जैसे क्षेत्रीय दल से भी कमजोर हो गई है। अपना दल ने यूपी में केवल 18 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिसमें 9 में उसे जीत हासिल हुई। हालांकि, साल 2012 में अपना दल एक भी सीट नहीं जीत सका थी। इस बार अपना दल की सफलता प्रतिशत 50 रहा, जबकि कांग्रेस केवल 7 प्रतिशत सीटों पर सफल हो सकी।कांग्रेस 2017  विधानसभा चुनाव में केवल 6 प्रतिशत (लगभग) वोट ही हासिल कर सकी। वहीं अपना दल ने 9 सीटों पर विजयी हुई।

1985 में 40 प्रतिशत वोट के साथ कांग्रेस को मिली थी 269 सीटें

साल 2012 के विधानसभा में कांग्रेस अकेल चुनाव मैदान में उतरी थी जिसमें उसे 28 सीटों पर विजय हासिल हुई थी। उस समय केंद्र की सत्ता पर कांग्रेस काबिज थी। बावजूद इसके 28 सीटों तक सिमट जाने को सबसे बड़ी असफलता की संज्ञा दी गई। 1989 में 94 सीटें हासिल करने वाली कांग्रेस यूपी में लगातार सिमटती गई। 1991 में 46, 1993 में 28, 1996 में 33, 2002 में 25, 2007 में 22 और 2012 में 28 सीटों तक पहुंच गई। माना गया कि कांग्रेस इससे नीचे नहीं जाएगी। लेकिन अब केवल एक अंक के आंकड़े तक पहुंचना कांग्रेस के यूपी से विलुप्त होने जैसा है। यह स्थिति भी उस वक्त है जब प्रदेश की सत्ता में काबिज सपा के साथ उसने गठबंधन किया था। 

खत्म हो गई चौधरी चरण सिंह की विरासत

वहीं कुछ ऐसी ही स्थिति भारत पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल की है। अजीत सिंह अपने पिता की विरासत को संभाल नहीं पाए। 2012 में 8 सीट जीतने वाली आरएलडी इस बार केवल 1 सीट जीत सकी। छपरौली विधानसभा सीट सहेंद्र सिंह रमाला ने आरएलडी के जहाज को पूरी तरह डूबने से बचा लिया। रमाला  भाजपा उम्मीदवार से केवल 3,842 वोट के अंतर से जीत हासिल कर सके।