क्या आप जानते है कि ब्रज के राजा और भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ महाराज के हुरंगा का इतिहास सदियों पुराना है। उनके विग्रह का प्राकट्य सन् 1538 में हुआ था। इसी के बाद बलदेव के गोस्वामी समाज के युवक व महिलाएं बलदाऊ और कृष्ण से भावात्मक होली खेलते हैं। बलदाऊ के होरी में मचाए गए धमार को ही हुरंगा का नाम दिया गया।

बलदाऊ के हुरंगा खेलने से पहले बलदाऊ मंदिर में ठाकुरजी को भांग का भोग लगाया। मेवा मिश्रित भांग को तैयार करने व उसका असर तेज करने के लिए उसमें तांबे का पुट लगाया जाता है। बाद में भांग को गोस्वामी समाज के युवक प्रसाद के रुप में ग्रहण करते हैं फिर होली हुरंगा खेलने निकलते हैं।
बलदाऊ के हुंरगा को देखने के लिए हजारों श्रद्धालुओं के साथ रमणरेती के कार्ष्णि गुरु शरणानंद महाराज, बरसाना के संत रमेश बाबा, संत राजेंद्र दास महाराज, संत फूलडोल बिहारीदास महाराज, हरिबोल बाबा आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। साथ ही एसएसपी देहात अरुण कुमार सिंह, न्यायिक अधिकारी, एसडीएम महावन, सीओ महावन आगरा और हाथरस के न्यायिक अधिकारी मौजूद रहे। मंदिर रिसीवर आरके पांडेय ने सभी आगंतुकों का स्वागत किया।