आदित्यनाथ ने 2015 में नेपाल सरकार के उस कदम की आलोचना की थी जिसमें नेपाल को एक धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित करने की बात कही गई थी । उन्होंने इस फैसले को वापस लेने की मांग की थी, लेकिन दिल्ली में उनकी मांग को अनसुना कर दिया।
नेपाल में एक पूर्व भारतीय दूत ने ईटी को बताया कि यह देखना बाकी रहेगा कि क्या केंद्र सरकार योगी के सीएम बनने के बाद नेपाल को लेकर अपना रुख बदलती है। बता दें कि नेपाल के पूर्व शाही परिवार गोरखा हैं जो अपने गुरु गोरखनाथ को मानते हैं।
ऐसा माना जाता है कि 1990 में महंत अवैद्यनाथ की सलाह पर ही राजा बिरेंद्र ने नेपाल को हिन्दू राष्ट्र, हिंदू राजा और गायों के कत्ल पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया था।
राजा बिरेंद्र सिंह और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या के बाद महंत अवैद्यनाथ ने इस बात से भी इंकार किया था कि राजा बिरेंद्र सिंह और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या राजा के पुत्र ने की थी। साल 2014 में योगी आदित्यनाथ को मठ का महंत बनाया गया।
साल 2015 में नेपाल में आए भूकंप के बाद गोरखनाथ मंदिर ट्रस्ट द्वारा कई टीमें भेजी गई थी, जो कि काठमांडू घाटी और गोरखा जिले में राहत और पुनर्वास कार्य में बढ़ चढ़ भाग लिए। इतना ही नहीं सांसद योगी आदित्यनाथ खुद नेपाल के बॉर्डर पर पुननिर्माण के कार्यों पर नजर बनाए हुए थे।