नई दिल्ली। बीते दिनों देश में कई जगह विधानसभा चुनाव हुए। जिसके बाद हर राज्य में सरकार बन गई। वहीं, अब मध्यप्रदेश में उपचुनाव की तैयारी चल रही है। इसी बीच एक चौका देने वाला मामला सामने आया है। विधानसभा चुनाव में ईवीएम मशीनों में छोड़छाड़ का विपक्ष के आरोपों पर सोचने को मजबूर कर रहा है। दरअसल यहां के भिंड जिले में एक अभ्यास के दौरान ‘वीवीपीएटी’ मशीनों से केवल भाजपा के निशान वाली पर्चियां निकलीं। वीवीपीएटी वे मशीन होती हैं जिससे निकलने वाली पर्ची से पता चलता है कि मतदाता ने किसे वोट दिया। इस पूरी मामले का वीडियों भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।
चुनाव आयोग ने मांगी रिपोर्ट
चुनाव आयोग ने जिला निर्वाचन अधिकारियों से मीडिया में आ रहीं उन खबरों पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है, जिनमें कहा जा रहा है कि डेमो के दौरान वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) से केवल बीजेपी के निशान वाली पर्चियां ही निकल रहीं थीं। उधर, मध्य प्रदेश की निर्वाचन अधिकारी सलीना सिंह ने मीडिया में आई खबरों का खंडन किया है। टीवी रिपोर्ट्स के मुताबिक चुनाव आयोग ने भिंड के कलेक्टर, एसपी सहित 19 अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया है। ऐसी घटना के सामने आने से कहीं न कहीं उन आरोपों को बल मिलता है, जिन्हें यूपी, मनीपुर, गोवा और पंजाब में हुए विधानसभा चुनावों के बाद विपक्षियों ने भाजपा पर लगाए थे। बता दें विपक्षियों ने ईवीएम में छेड़छाड़ का आरोप लगाया था।
कांग्रेस ने एक ज्ञापन में कहा, ईवीएम में छेड़छाड़ के मद्देनजर पूरी प्रक्रिया की फिर से जांच आवश्यक है। आगामी चुनाव में ईवीएम के प्रयोग से पहले इन मशीनों के रखरखाव, परिचालन और डाटा फीड करने वाले लोगों और एजेंसियों की जांच की जानी चाहिए। वहीं, केजरीवाल ने खुद को आईआईटी का छात्र बताते हुये दावा किया कि ईवीएम के सॉफ्टवेयर में छेड़छाड़ हो सकती है। इन घटनाओं के हवाले से उन्होंने ईवीएम की चिप में कोई छेड़छाड़ नहीं किये जा सकने के दावे को भी गलत बताया।
विपक्ष ने लगाया था ईवीएम में छेड़छाड़ का आरोप
बता दें बीते चुनावों में भाजपा ने प्रचंड जीत हासिल की थी। इस जीत पर कई विपक्षी दलों ने ईवीएम मशीन में छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। भिंड में अगले सप्ताह उपचुनाव होना है और यह अभ्यास के लिए किया जा रहा था। वीडियो सामने आने के बाद विपक्षी पार्टियों के नेता ईवीएम से छेड़छाड़ का आरोप लगा रहे हैं।
ख़बरों के मुताबिक़ अभ्यास के दौरान चाहे जो भी बटन दबाया गया उससे निकली सारी पर्चियां यह दिखा रही थीं कि वोट भाजपा को गया है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि मध्यप्रदेश की मुख्य चुनाव अधिकारी सलीना सिंह ने पत्रकारों को समाचार पत्रों में यह न्यूज नहीं देने के लिए कहा है। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि अगर यह बात बाहर गई तो पुलिस थाने में हिरासत में रखा जाएगा यह कहते देखा गया था।