प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ के प्रमुख सचिव और सीनियर आईएएस अफसर बाबूलाल अग्रवाल और उनके भाइयों की 36 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति जब्त कर ली है. ईडी ने इस केस की जांच में पाया कि प्रमुख सचिव बाबूलाल अग्रवाल और उनके सहयोगियों ने फर्जी कंपनियों के जरिए करोड़ों रुपये की हेराफेरी की थी.
ईडी ने मंगलवार को प्रमुख सचिव बाबूलाल अग्रवाल के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए उनके परिवार की करोड़ों रुपये की संपत्ति को जब्त कर लिया. जांच में खुलासा हुआ कि आरोपियों ने ग्रामीणों के नाम पर 384 खाते खुलवाए थे. पैसों की हेराफेरी के लिए फर्जी कंपनियों का प्रयोग किया गया.
ईडी ने खुलासा किया कि ग्रामीणों द्वारा जमा की गई रकम बाद में प्राइम इस्पात नाम की एक कंपनी के अकाउंट में ट्रांसफर कर दी गई. दरअसल ये कंपनी प्रमुख सचिव बाबूलाल अग्रवाल के भाइयों की थी. इस मामले में सीबीआई पहले ही बाबूलाल अग्रवाल के खिलाफ केस दर्ज कर चुकी है.
IAS एसोसिएशन में मचा हड़कंप
ईडी की इस कार्रवाई के बाद छत्तीसगढ़ आईएएस एसोसिएशन में हड़कंप मच गया. बताते चलें कि केंद्र सरकार हर साल आईएएस अफसरों से संपत्ति का ब्यौरा मांगती है, लेकिन छत्तीसगढ़ कैडर के अफसर इस मामले में सिर्फ खानापूर्ति करते हैं. गौरतलब है कि राज्य के दो दर्जन आईएएस अफसरों पर बड़े पैमाने पर बेनामी संपत्ति इकठ्ठा करने के आरोप लगते रहे हैं. इसी सूची में बाबूलाल अग्रवाल भी शामिल थे. बाबूलाल के सीबीआई और ईडी के हत्थे चढ़ने के बाद अब दूसरे भ्रष्ट आईएएस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की उम्मीद बढ़ी है.
ईडी चला रही है छापेमारी अभियान
वहीं ईडी देश में इस समय पूरे फॉर्म में छापेमारी अभियान चला रही है. चेन्नई में ईडी अधिकारियों ने शेल कंपनी से जुड़े दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों के नाम जी. धनंजय रेड्डी और के. लियाकत अली बताए जा रहे हैं. खुलासा हुआ है कि धनंजय रेड्डी ने बीस शेल कंपनियों के जरिए सरकार को बीस करोड़ रुपये का चूना लगाया. आरोपियों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लोन लिया था. इस केस में अभी तक 78 करोड़ रुपये के घोटाले की बात सामने आई है. ईडी ने छापेमारी के बाद कई और लोगों की गिरफ्तारी होने की बात कही है.