नोटबंदी के बाद से बैंकों में पैसे जमा करने का सिलसिला जारी है। नोटबंदी के फैसले के बाद देश के जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (DCCBs) में सिर्फ पांच दिनों के अंदर 9,000 करोड़ की रकम जमा हो गई थी।
यह हैरानी की बात इसलिए है क्योंकि नोटबंदी के पहले तक DCCB की सभी ब्रांच नुकसान में जा रही थीं। हालांकि, DCCB का उठाया जा रहा फायदा ज्यादा दिन तक नहीं चल पाया क्योंकि जैसे ही यह बात रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नोटिस में आई उन्होंने सभी DCCB के किसी भी खाते में पुराने नोट जमा करवाने पर रोक लगा दी। एक्सपर्ट का मानना है कि सिर्फ पांच दिन में ही यह साफ हो गया कि DCCB के ज्यादातर खातों का इस्तेमाल कालेधन को सफेद करने के लिए हुआ।
खबरों के मुताबिक NABARD के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर के जी कर्माकर ने बताया कि पिछले कई सालों से DCCB के खातों का प्रयोग राजनीतिक पार्टियों द्वारा किया जाता रहा है। कर्माकर के मुताबिक, पार्टियां किसानों के नाम पर अकाउंट खोलती हैं और उसे काले पैसे को सफेद करने के लिए इस्तेमाल करती हैं। कुछ अधिकारियों ने केरल का जिक्र खास तौर पर किया। क्योंकि केरल में खेती नाम मात्र को ही रह गई है लेकिन वहां की DCCB की ब्रांचों में 1,800 करोड़ रुपया जमा हुआ।