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यूपी में अब बिल्डरों की नही चलेगी मनमानी, प्रोजेक्ट सरकार के पास रजिस्टर्ड करवाने होंगे

केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू और  सीएम योगी ने रियल एस्टेट बिल्डरों को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि बिल्डरों ने उपभोक्ताओं से जो वायदा किया है उसे निभाना पड़ेगा, वरना नए कानून के हिसाब से उन लोगों पर जुर्माना लगेगा और जेल भी जाना पड़ेगा।

रियल एस्‍टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट ऐक्‍ट के तहत बिल्डरों को अपने प्रोजेक्‍ट 31 जुलाई तक सरकार के पास रजिस्‍टर्ड करवाने पड़ेंगे. ऐसा नहीं करने पर इन प्रोजेक्ट्स को ‘अवैध’ निर्माण समझा जाएगा.

फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स में रियल एस्‍टेट रूल्‍स के बारे में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात की जानकारी आवास और शहरी गरीबी उन्‍मूलन मंत्रालय के संयुक्‍त सचिव राजीव रंजन मिश्र ने दी.

इसके तहत रियलिटी रेगुलेटर के पास नए और चल रहे दोनों प्रोजेक्‍ट रजिस्‍टर्ड करवाने पड़ेंगे. मालूम हो कि इस ऐक्‍ट के तहत प्रॉपर्टी खरीदारों को बिल्‍डरों की ठगी से बचाने के कई प्रावधान किए गए हैं.

रियल एस्‍टेट एक्‍सपर्ट एससी कुश का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा एक ऐक्‍ट लागू करने के बाद अब न सिर्फ बिल्‍डरों की जवाबदेही बढ़ेगी बल्‍कि प्रॉपर्टी डीलरों की डगर भी पहले जैसी आसान नहीं रह जाएगी.बिल्डरों को अपने प्रोजेक्ट सरकार के पास रजिस्टर्ड करवाने होंगे

दूसरी तरफ  मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने कहा कि यूपी में बिल्डरों की ब्लैकमेलिंग नहीं चलने देंगे। शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू और मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ यहां लोकभवन में पत्रकारों से बात कर रहे थे। इस मौके पर केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने यूपी को लखनऊ मेट्रो, अमृत योजना व पेयजल योजनाओं के लिए कुल 1263 करोड़ रुपया जारी करने का ऐलान भी किया।

बिल्डरों के अलावा प्रॉपर्टी डीलरों को भी रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ेगा

राज्‍यों में बनने वाले रियलिटी रेगुलेटर के पास बिल्‍डरों के अलावा प्रॉपर्टी डीलरों को भी रजिस्‍ट्रेशन करवाना पड़ेगा. पूरे प्रोजेक्‍ट की डिटेल देनी है, कितना एरिया, कब पूरा करना था, कितना पूरा कर लिया है, जैसी सारी जानकारियां देनी होगीं.

इसके अलावा जो जानकारी ब्रोशर में दी है या खरीदार के साथ एग्रीमेंट किया है, बिल्‍डर को उसे पूरा करना होगा. ऐसा न करने पर पेनल्‍टी है और सजा का प्रावधान है.

प्रोजेक्‍ट में बुकिंग का जितना पैसा लोगों से लिया उसका 70 फीसदी एक अकाउंट में रखना जरूरी है. पैसा वहीं खर्च होगा जिसके लिए लिया गया है. इस अकाउंट की जानकारी भी रेगुलेटर के पास होगी.