नई दिल्ली : भारत ने सोमवार को हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत द्वारा फांसी की सजा सुनाने के मामले में अपनी दलीलें पेश की. वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे की दलीलों ने पाकिस्तान की करतूतों को उजागर कर दिया. हालाँकि इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी अपनी लचर दलील पेश कर सफाई देने की असफल कोशिश की .दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.कोर्ट जल्द ही फैसला सुनाएगा.
उल्लेखनीय है कि बहस की शुरुआत विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव दीपक मित्तल ने की.बता दें कि इस अहम मामले में कोर्ट ने दोनों पक्षों को दलील देने के लिए डेढ़ घंटे का समय दिया था. हरीश साल्वे की दमदार दलीलों से पाकिस्तान के हौंसले पस्त हो गए .साल्वे ने कहा कुलभूषण जाधव को मार्च में गिरफ्तार किया और अप्रैल में उनको सजा सुना दी गई. जाधव तक दूतावास की पहुंच का भारत का अनुरोध पाकिस्तान ने बार-बार ठुकराया. इस कारण जाधव को कानूनी मदद नहीं मिल सकी. पाकिस्तान ने जाधव पर लगाए गए आरोपों के सुबूत भी नहीं दिए . न तो जाधव के आरोपपत्र की प्रति दी गई और न ही जाधव के माता-पिता को बेटे से मिलने के लिए वीजा दिया गया.साल्वे ने जाधव मामले में वियना समझौते के उल्लंघन का जिक्र किया .भारत ने अपनी दलीलों के साथ जाधव पर लगाए गए सभी आरोपों को खारिज कर दिया.
खास बात यह रही कि अंतरराष्ट्रीय अदालत ने पाकिस्तान को कुलभूषण जाधव के इकबालिया बयान का वीडियो दिखाने से मना कर दिया. सुनवाई के दौरान पाकिस्तान वह वीडियो दिखाना चाहता था, जिसमें कथित तौर पर जाधव ने अपना गुनाह कबूल किया था .लेकिन, इसकी इजाजत उसे नहीं मिली.हरीश साल्वे ने इसे पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका बताया.
उधर, अपने बचाव में पाकिस्तान ने कहा कि जासूसी और आतंकवाद के मामले में वियना समझौता लागू नहीं होता है. इसलिए यह मामला अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. जाधव मामले में भारत का आवेदन अनावश्यक और गलत है. यहां इस बात का जिक्र करना जरुरी है कि वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में जाधव का मुकदमा लड़ने के लिए फीस के तौर पर मात्र एक रुपया लिया है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्विटर पर यह जानकारी एक व्यक्ति के ट्वीट के जवाब में दी है.