केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में सभी राज्यों के वित्त मंत्री बैठ कर तय करेंगे कि किस वस्तु या सेवा को जीएसटी के दायरे में रखा जाए और किसको छूट दी जाए। यही नहीं, किस वस्तु या सेवा पर कर की क्या दर हो या उसे किस स्लैब में डाला जाए, इसका भी निर्धारण होगा। सरकार ने हालांकि यह संकेत दे दिया है कि जीएसटी लागू होने पर जीवन यापन से जुड़ी वस्तु एवं सेवाएं महंगी नहीं होंगी।
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि किस वस्तु एवं सेवा पर कर की क्या दर हो, इस बारे में केंद्रीय राजस्व सचिव हसमुख अढिया की अगुवाई में सभी राज्यों के प्रधान सचिव (वित्त) की बैठक हो चुकी है। श्रीनगर में 18 एवं 19 मई को होने वाली परिषद की बैठक में सिर्फ औपचारिकता भर शेष है, इसलिए इसमें ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।
स्लैब की घोषणा पर संशय
एक अधिकारी का कहना है कि वस्तु एवं सेवाओं पर कर की दर के स्लैब तो श्रीनगर की बैठक में तय हो जाएंगे, लेकिन इसकी घोषणा वहां नहीं भी हो सकती है। यदि ऐसा हुआ तो फिर जीएसटी लागू होने से कुछ दिन पहले स्लैब को घोषित किया जाएगा।
हालांकि सूत्रों का कहना है कि जीएसटी के तहत तय की जाने वाली टैक्स की दरें वस्तुओं और सेवाओं पर कर की मौजूदा दरों से बहुत अलग नहीं होंगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी पिछले दिनों कहा था कि नई जीएसटी व्यवस्था में कर की दरें किसी को नहीं चौंकाएंगी। उन्होंने कहा था कि दरें तय करते समय किसी तरह का हैरान करने वाला फैसला नहीं लिया जाएगा।