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अखिलेश की हाथो में जनेश्वर मिश्रा की बेटी ने बाधी राखी

लखनऊ : सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को राखी बांधने कार्यकत्री पहुंची समाजवादी पार्टी कार्यालय

जनेश्वर मिश्र की बेटी सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को राखी बांधने पहुंची समाजवादी पार्टी कार्यालय!

सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को राखी बांधने बच्चियां पहुंची समाजवादी पार्टी कार्यालय!

जनेश्वर मिश्र की बेटी मीना तिवारी ने सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को बांधी राखी!

महिला कार्यकर्ताओं ने सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को बांधी राखी।

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिए रक्षाबंधन का त्योहार काफी खास होता है। स्कूल के दिनों में दोस्त के बहन से राखी बधवाने के बाद अखिलेश ने उन्हें शगुन के तौर पर दो रुपए दिए थे। अखिलेश आज भी उस रिश्तों को आगे बढ़कर निभाते हैं।अखिलेश के बचपन के दोस्त निर्दोष शर्मा ने अखिलेश के साथ अपने बचपन के स्कूल के दिनों के याद करके रोमांचित हो जाते हैं। फ्रेंडशिप डे के दिन ईनाडु इंडिया से बात-चीत में निर्दोष ने अखिलेश के साथ बिताए दिनों की बातें शेयर कर कई खुलासे किए।

जब धौलपुर मिलिट्री स्कूल में पढ़ते थे दोनों

फिरोजाबाद के रहने वाले निर्दोष ने कहा कि धौलपुर के मिलिट्री स्कूल में पढ़ाई के दौरान वे अखिलेश के रूम पार्टनर हुआ करते थे। दोनों ने एक दिन अंतराल पर स्कूल में दाखिला लिया था इसलिए एक कमरा रहने के लिए मिल गया था।

राखी बांधने पर दो रुपए दिए थे शगुन
निर्दोष ने बताया कि जब 7th क्लास में हम लोग थे, तो सिर्फ साल में विंटर और समर वेकेशन पर ही घर जाते थे। ऐसे में जब रक्षाबंधन पड़ा, तो मेरी बहन फिरोजाबाद से 500 रुपए में टैक्सी कर फैमिली के साथ मुझे राखी बांधने आई थी। ये देख अखिलेश की आंखें नम थीं। उस वक्त निर्दोष की बहन ने अखिलेश को भी राखी बांधी, बदले में उसने उसे 2 रुपए दिए थे। निर्दोष की बहन वो 2 रुपए आज भी संभाल कर रखे हैं।

निर्दोष बतातें है कि खुद अखिलेश को भी वो रक्षाबंधन का दिन खूब याद है। जरूरत पड़ने पर अखिलेश किसी भी तरह के सहायता के लिए आज भी तैयार रहते हैं।

काफी एनेर्जेटिक रहते थे अखिलेश
निर्दोष के मुताबिक मिलिट्री स्कूल का रूटीन बहुत ही टफ होता था। सुबह 5 बजे ही परेड के लिए सीटी बज जाती थी। सभी को छह बजे मैदान में पहुंचना होता था। कड़ी मेहनत के बीच अखिलेश काफी एनेर्जेटिक रहते थे। वो तुरंत उठकर तैयार हो जाते थे। एक दिन में हम लोग पांच ड्रेस चेंज करते थे। लेकिन सुबह 6 बजे पहने मोजे रात 10.30 के बाद ही उतारते थे।

निर्दोष बताते हैं कि हमारा स्कूल पहाड़ पर था, तो हम पूरे दिन में 13-14 किमी पैदल चलते थे।ये रूटीन सुबह 5 बजे से शुरू होता था। स्कूल अलग था, हॉस्टल अलग था और खेल मैदान अलग। फिर हम फुटबाल भी खेलते थे।