अपने पहले संयुक्त बजट को पेश करने से पूर्व वित्तमंत्री जेटली ने कड़े तेवर दिखाते हुए कहा कि रेलवे की सेवाओं के लिए जनता को धन खर्च करना पड़ेगा। कोई भी सेवा फ्री नहीं होगी। साथ ही उन्होंने कहा कि पिछली सरकारें जनता को सब्सिडी देकर लोकलुभावन बजट देती रहीं हैं।
लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों के दौरान देखा गया है कि सिर्फ जनता में लुभाने के लिए रेलवे का इस्तेमाल किया गया, उसे एक संस्थान की तरह न चलाकर घाटे की ढकेला गया है। अब ऐसा नहीं होगा। जेटली सीआईआई के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। जेटली ने नॉन-कोर कार्यों को आउटसोर्स करने के लिए भी जोर दिया। उन्होंने कहा रेलवे का मुख्य कार्य नई-नई ट्रेनें चलाना है न ही नॉन कोर सेवाएं देना। तो दुनियाभर में अपनाए गए आउटसोर्सिंग को रेलवे के नॉन-कोर हॉस्पिटेलिटी कार्य को आउटसोर्स करने में हर्ज क्या है।
पहले भी ऐसा देखा गया है कि पॉवर और हाइवे को आउटसोर्स करने से जनता ने पैसा देना शुरू किया और कितना फायदा देखने को मिल रहा है यह सबको पता है। गौरतलब है कि सरकार ने पिछले 92 वर्षों से चली आ रही प्रथा को समाप्त करते हुए आम और रेल बजट 2017-18 को एक साथ पेश करने का फैसला लिया है।
सरकार ने छोटे दुकानदारों को राहत देते हुए कैशलेस कारोबार में टैक्स छूट का ऐलान किया है। जो दुकानदार टैक्स पेयर नहीं है उनकी दो करोड़ के कारोबार को टैक्स असेसमेंट के दौरान 12 लाख माना जाएगा। साथ ही अगर दुकानदार कैशलेस सेल नहीं करता है तो उसकी दो करोड़ के कारोबार को 16 लाख माना जाएगा।
इस बात की जानकारी वित्तमंत्री अरुण जेटली ने दी है। नोटबंदी के दौरान जेटली ने बताया कि बाजार में 18 लाख नोट बाजार में थे।
15 लाख 44 हजार के नोटों को बंद किया गया। अब नोटबंदी के बाद आए नोटों को बाजार में उतारा जाएगा। वहीं बैंक कर्मियों के घालमेल पर जेटली ने कहा कि बैंक प्रबंधन और सरकार एंजेसियां एक्शन ले रही हैं।