प्रदेश में काम करने वाली रियल एस्टेट कंपनियों के पंजीकरण के लिए 30 सितम्बर तक का डेड लाइन जारी किया गया है।उसके बाद रेगुलेटरी में पुरानी कम्पनियो का पंजीयन बंद हो जाएगा।कुछ कम्पनियां 15 अगस्त तक रजिस्ट्रेशन करा ली है।जो नही कराई है पेनाल्टी के साथ 30 सितम्बर तक करा ले यह कहना है रेरा के कार्यकारी अधिकारी अनिल तिवारी का ।
तिवारी ने कहा रेरा में रजिस्ट्रेशन के निम्न शर्ते है,,,,,,
1- कम्पनी के नाम कम से कम 500 वर्गमीटर भूखण्ड होना जरूरी है।
2- टाउनशिप या फ़्लैट बनाने के लिए खेती वाली जमीन को आवासीय में कन्वर्ट कराना आवश्यक है।
3- आवासीय जमीन का आर्टिटेक्ट से ले- आउट प्लान (मैप) बनवाकर एलडीए या सम्बंधित टाउनशिप(प्रोजेक्ट) परमिशन देने वाली सरकारी विभाग से एप्रूभल लेना होगा।
4- विकास शुल्क जमा करने के बाद आप रेरा में अप्लाई करने के लिए आपका प्रोजेक्ट पूर्ण माना जाएगा ।
5- पहले प्रमोटर में अप्लाई होगा। कम्पनी का एक साल का आईटीआर जरूरी है।
6- प्रमोटर रजिस्ट्रेशन के बाद अपने प्रोजेक्ट को रेरा में पंजीकृत करने के लिए 10 रुपया प्रति वर्गमीटर शुल्क देने के बाद रजिस्टर्ड प्रमाण पत्र डवलपर को मिलेगा।
उपरोक्त सभी नियम पहले से काम कर रही कम्पनियो पर सख्ती से लागू कराया जा रहा है।
नई कम्पनियां या प्रोजेक्ट कभी भी रेरा में रजिस्ट्रेशन करा सकती है।
रेरा के आने के बाद से छोटे रियल स्टेट कारोबारी बाजार से बाहर हो जाएंगे।क्योकि लखनऊ में कुकुरमुते की तरह कम्पनियो का मकड़जाल फैला हुआ था।
बायर भी कन्फ्यूज था किससे प्लाट,मकान और फ़्लैट खरीदे।
रेरा अधिकारी का कहना है किग्राहक रेरा के प्रमाणपत्र देखे बिना कोई भी कदम आगे नही बढ़ाए।
उत्तर प्रदेश आवास एवं शहरी नियोजन विभाग ने ‘रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी’ (रेरा) की वेबसाइट तैयार कर ली है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 26 जुलाई को इस वेबसाइट को लांच किया। उसके बाद से रियल स्टेट कारोबार से जुडी फ़्लैट बनाने वाली कम्पनियां रजिस्ट्रेशन कराना शुरू किया।
इस दौरान सीएम ने कहा, बायर्स और बिल्डर्स के बीच में एक संवाद स्थापित हो और एक विश्वसनीयता स्थापित हो इसलिए इस एक्ट की आवश्यकता बहुत दिनों से थी। यूपी देश का सबसे बड़ा रहा है। इसलिए यहां स्वाभाविक रूप से उपभोक्ता भी ज्यादा हैं। लाभार्थियों के हितों को ध्यान रखते हुए पोर्टल लॉन्च किया गया है।बायर्स की हितो की अनदेखी बर्दास्त नही की जाएगी।
आइए इससे जुड़ी 10 खास बातें जानें
उत्तर प्रदेश, गुजरात, ओड़िशा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और बिहार, अंडमान निकोबार द्वीपसमूह, चंडीगढ़, दादर एवं नागर हवेली, दीव, लक्षद्वीप आदि ने इसके तहत नियम अधिसूचित कर दिए हैं. अभी इसे केवल 3 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने इसके तहत नियमों को नोटिफाइ किया है. रेरा अधिकारियो के अनुसार इस कानून को लेकर डेवलपरों-बिल्डरों के बीच बने खौफ को लेकर कहा कि यह कानून इस क्षेत्र का बस विनियमन करेगा न कि उसका गला घोंटेगा. उन्होंने कहा- रेरा के अनुसार डेवलपर अपने वादे पूरा करें. विज्ञापन में जो वादे किए गए हैं, उनका पालन हो.सरकार के मुताबिक, यह कानून के क्रियान्वयान के एक ऐसे युग की शुरुआत है जहां खरीददार बाजार का बादशाह होगा. सरकार ने मकानों के खरीददारों को बचाने और असली निजी रियल एस्टेट कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए इस कानून को पेश किया है.इस कानून के तहत जुलाई तक सभी प्रॉजेक्ट्स का रजिस्ट्रेशन जरूरी है. रेरा में कहा गया है कि सभी मौजूदा प्रॉजेक्ट्स का रजिस्ट्रेशन संबंधित राज्यों की रेगुलेटरी अथॉरिटीज़ में जुलाई 2017 तक हो जाना
चाहिए.रजिस्टर्ड प्रॉजेक्ट की पूरी जानकारी प्राधिकरण को दी जानी जरूरी है. कानून के तहत अब यह आवश्यक हो गया है कि प्रॉजेक्ट पूरा होने की तारीख दी जाए.साथ ही अब मकान बनाने वाला बिल्डर, डेवलेपर एक प्रॉजेक्ट का पैसा दूसरे में नहीं लगा सकता. हालांकि कहा जा रहा है कि कुछ राज्यों ने नियमों में कुछ बदलाव कर दिए हैं. हालांकि मंत्रालय के अधिकारियों के हवाले से कहा जा रहा है कि सरकार ने राज्यों को साफ कहा है कि प्रावधानों में बदलाव न किए जाएं.रियल एस्टेट कानून के मुताबिक, प्रॉजेक्ट की बिक्री सुपर एरिया पर नहीं बल्कि कॉरपेट एरिया पर करनी होगी. पजेशन में देरी होने या कंस्ट्रक्शन में दोषी पाए जाने पर बिल्डरों को ब्याज और जुर्माना दोनों देना होगा.अगर कोई बिल्डर ख़रीदार के साथ धोखाधड़ी का दोषी पाया जाता है तो उसे तीन साल की सज़ा का प्रावधान भी संसद द्वारा पास किए कानून में है.कानून के मुताबिक, इसके अलावा बिल्डरों को ख़रीदारों से लिया 70% पैसा प्रोजेक्ट के अकाउंट में ही रखना होगा. सभी राज्यों में रियल एस्टेट अथॉरिटी होगी जिसके साथ बिल्डरों और रियल एस्टेट एजेंट को रजिस्ट्रेशन कराना होगा.भारत में रियल एस्टेट कारोबार की बात करें तो देश में 76 हजार रियल एस्टेट कंपनियां हैं. हर साल 10 लाख लोग मकान खरीदते हैं. एक अनुमान के मुताबिक, 2011-15 में हर साल 2,349 से 4,488 प्रॉजेक्ट लॉन्च हुए और 2011-15 में 13.70 लाख करोड़ का निवेश हुआ. वहीं, 2011-15 में 27 शहरों में 17,526 प्रॉजेक्ट लॉन्च किए गए.