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सरकार तो बदली,लेकिन बलिया की सड़के खंडहर बनी रही

बलिया : जनपद में जर्जर हो चुकी सड़कों का असल खामियाजा इस पर चलने वाले लोगों को ही नहीं बल्कि वाहन स्वामियों को भी उठाना पड़ रहा है। अपरोक्ष रूप से इसका सबसे अधिक नुकसान वाहन स्वामियों को ही भोगना पड़ रहा है।

प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद योगी सरकार ने सड़कों के कायाकल्प के लिए तमाम दावे किए, लेकिन शहरों के कुछ हिस्सों को छोड़ दें तो ग्रामीण इलाकों में स्थिति यथावत ही है। ऐसे नतीजा गड्ढे से पटी सड़कों पर चलने वाले वाहनों में आए दिन तकनीकी खराबी हो रही तो तीन महीने में ही टायर फट जा रहे हैं। इससे वाहन स्वामियों को हर माह जबर्दस्त आर्थिक क्षति भी उठानी पड़ रही है। यह हालात तब हैं जब वाहन स्वामी बकायदा नियत तिथि पर सरकार द्वारा निर्धारित टैक्स भी जमा करते आ रहे हैं। स्थिति काफी बदतर फिर भी इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। ऐसे में वाहन स्वामी इसको लेकर बिल्कुल ही आजिज आ चुके हैं, लेकिन कहीं से कोई निदान नहीं हो रहा है। खराब व बदतर सड़कों के मायने में यदि जनपद को अव्वल कहा जाए जो कहीं से अतिश्योक्ति नहीं है। जनपद के अधिसंख्य मार्ग कई वर्षों से गड्ढे मे तब्दील हो चुकी हैं, लेकिन निर्माण के नाम पर सिर्फ आश्वासन ही मिलते आ रहे हैं। कुछ मार्गों को छोड़ दें तो स्थिति इतनी बदतर है कि वाहनों को उन पर रेंगना पड़ता है। इसमें ग्रामीण क्षेत्र की स्थिति तो और भी दयनीय है। नगर के कुछ मार्गों को छोड़ दें तो आज भी कई सड़कों पर बने बड़े-बड़े गड्ढों में गाड़ियां हिचकोले खाते ही चलती हैं। हालात है कि ग्रामीण इलाकों में एक भी सड़क ऐसी नहीं जिस पर लोग वाहनों को लेकर आराम से निकल सकें। सड़क पर बने बड़े-बड़े गड्ढे वाहनों के पहियों को आगे बढ़ने ही नहीं देते। इसमें निजी वाहन वाले तो किसी तरह से बच कर निकल भी जाते हैं लेकिन व्यवसायिक वाहनों की स्थिति बिल्कुल खराब हो जाती है। दिन भर सड़कों पर चलने के बाद हर दूसरे-तीसरे दिन वाहनों को गैराज में लेकर जाना पड़ता है। इससे वाहन स्वामियों को फायदा कम बल्कि नुकसान ही अधिक हो रहा है। ऐसे में वाहन स्वामी समझ ही नहीं पा रहे कि वह आखिर क्या करें।