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कौशक चौबे की गिरफ्तारी या सियासी आत्मसमर्पण असमंजस बरकरार

अब का कौशल चौबे

लखनऊ।जिसके नाम से उत्तर प्रदेश में दहशत से लोग ठिठक जाते । उस डान की गिरफ्तारी से लोगो की दिमाग में एक सवाल तैर रहा है कि वर्षो से गुमनाम की जीवन बिता रहा कौशल चौबे गिरफ्तार हुआ या आत्मसमर्पण किया।पुलिस के अनुसार एसटीएफ ने गिरफ्तार किया । परिवार वाले कुछ बताने से बच रहे है।

पहले का कौशल चौबे

देहरादून पुलिस के अनुसार यूपी के बलिया जिले का मोस्ट वांटेड कौशल चौबे वर्ष 2004 में टेंडर विवाद में चार लोगों की हत्या करने के बाद से फरार था। चौबे देहरादून के रायवाला के हरिपुर में फ्लैट लेकर नाम बदलकर पत्नी के साथ रह रहा था। इसकी गिरफ्तारी की सूचना पर यूपी एसटीएफ ने भी दून पहुंचकर उससे पूछताछ कर रही है।

एसटीएफ उप महानिरीक्षक रिधिम अग्रवाल ने बताया कि इनामी अपराधियों की धरपकड़ की मुहिम के दौरान एसटीएफ को उत्तर प्रदेश के कुख्यात अपराधी कौशल कुमार चौबे के बारे में कई महत्वपूर्ण इनपुट मिले थे।

उसी आधार पर जांच आगे बढ़ी तो चौबे के बेटों के देहरादून में रहने की बात सामने आई। एसटीएफ को बुधवार देर रात सूचना मिली कि कौशल कुमार चौबे निवासी चैन, बलिया, यूपी अपने पुत्र कीर्तिमान और दीप्तिमान चौबे से मिलने देहरादून आ रहा है।

उपरोक्त पुलिसिया बयान की तह में जाने के बाद एक बात साफ हो गई कि चौबे देहरादून में परिवार सहित गुमनाम जीवन वर्षो से बिता रहा था। सूत्रों की माने तो चौबे उत्तराखण्ड के बड़े ब्राम्हण नेता की सरपरस्ती में रह रहा था।उन्ही के इशारे पर आत्मसमर्पण की स्क्रिप्ट रची गई।बलिया ब्राम्हण बाहुल्य है। यहाँ एक मजबूत ब्राम्हण नेता की कमी को पूरा करने के लिए यह कहानी रची गई ।बताते चले बलिया लोकसभा सीट पर गठबंधन को ब्राम्हण मतदाताओं ने दलदल से ऊपर उठकर जातीय एकजुटता दिखाई । उससे भाजपा प्रत्याशी मात्र कुछ हजार वोटो से ही मुश्किल से जीत पाए। इस चुनाव में कौशल चौबे का परिवार भी गठबन्ध के साथ खड़े दिखे।