भीमपुरा थाना क्षेत्र के रुद्दी मिठनुआ गांव में छह दिन पूर्व रजवतिया देवी (85) की हुई निर्मम हत्या कोई और नहीं बल्कि उसकी पोती ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर की थी। पुलिस के खुलासे में यह तथ्य सामने आया है। पोती को प्रेमी के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देखने पर वृद्धा ने इसका विरोध किया था। इस पर दोनों ने मिलकर उसे मौत के घाट उतार दिया था। वहीं अगले दिन भोर में प्रेमिका के पिता व मृतका के भतीजे ने उन दोनों को बचाने के लिए शव को भूसा घर में रख दिया। पुलिस ने गुरुवार की सुबह घटना में शामिल मृतका की पोती अमृता उर्फ पूजा यादव व प्रेमी सत्येंद्र राजभर निवासी रुद्दी व मृतका के भतीजा देवेंद्र यादव को गिरफ्तार कर लिया है। इन तीनों की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त कुल्हाड़ी भी बरामद कर ली है। घटना को अंजाम देने के बाद आरोपियों ने 16 दिसंबर की रात वृद्धा की हत्या कर शव भूसा वाले घर में रख दिया गया था। अगले दिन वृद्धा को न देखकर गांव में चर्चा शुरू हो गई थी। काफी खोजबीन के बाद उसका शव मकान के बगल में स्थित भूसा घर में मिला। इससे हर कोई अवाक हो गया था। वृद्धा की हत्या क्यों की गई इसको लेकर तरह-तरह की चर्चा होती रही। पुलिस ने 19 दिसंबर को मृतका की बेटी शकुंतला देवी निवासी पहाड़पुर थाना घोसी जनपद मऊ की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ मुकदमा कायम कर लिया। पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण ने इसकी जांच प्रभारी निरीक्षक राजनाथ यादव को सौंपी। पुलिस की जांच में शक की सूई वृद्धा के साथ रह रही पोती पर गया। पुलिस के लगातार पूछताछ में वह टूट गई और अपने प्रेमी सत्येंद्र राजभर की संलिप्तता को स्वीकार कर लिया। पुलिस इसे हिरासत में लेकर पूछताछ करने लगी। काफी प्रयास के बाद बताया कि मृतका रजवतिया देवी की दो पुत्रियां थी जिनकी शादी हो चुकी है। वह अपने ससुराल में रहती हैं। मृतका की कोई संतान न होने से वह अपने भतीजे देवेंद्र की बेटी अमृता उर्फ पूजा यादव के साथ ही रहती थी। प्रेमी ने पुलिस को बताया कि डेढ़ साल से उसका पूजा से प्रेम संबंध है। घटना की रात करीब 8 बजे पूजा से मिलने गया था। इसी बीच दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में वृद्धा ने देख लिया था। इसके बाद गाली देते हुए वह शोर मचाने लगी। इस पर चुप कराने के उद्देशय से उसका गला दबा दिया। इसी बीच उनकी पोती ने वहीं पड़ी कुल्हाड़ी से वार कर दिया जिससे उनकी मौत हो गई। डर के मारे मैं वहां से भाग गया और जाते-जाते पूजा से यह कहा कि देखना हमारा नाम न आए। पुलिस की पूछताछ में पूजा ने बताया कि उनके शरीर से गिर रहे खून को कपड़े से पोछ दिया था और इसके बाद सोने चली गई। अगले दिन सुबह जब पापा (देवेंद्र) ट्यूवबेल से आकर बुढ़ा-बुढ़ा की आवाज लगाने लगे तो मैं बैठ कर रोने लगी। इसके बाद पापा से सारी बात बताई। उन्होंने शव को ले जाकर भूसा घर में रख दिया। पुलिस अधीक्षक ने टीम को पुरस्कार देन की घोषणा की।