नई दिल्ली, जेएनएन। अंतरराष्ट्रिए क्रिकेट कमेटी (ICC) यानी आईसीसी ने जिम्बाब्वे क्रिकेट बोर्ड को भंग कर दिया था जिसकी वजह से अब ये देश क्रिकेट नहीं खेल पाएगा। आईसीसी के इस कदम से बाद जिम्बाब्वे के खेल मंत्री क्रिस्टी कावेंट्री ने वहां के क्रिकेट मामलों में सरकार हस्तक्षेप से इंनकार कर दिया और कहा कि जिस आयोग ने जिम्बाब्वे क्रिकेट यानी (जेडसी) को भंग किया है वो सार्वजनिक संस्था है। आईसीसी ने जिम्बाब्वे को संविधान का उल्लंघन करने के लिए निलंबित किया है। आईसीसी के इस फैसले के बाद देश के कई क्रिकेटर प्रभावित हुए और उन्होंने ये जाहिर भी किया कि उनके साथ कितना गलत हुआ है। अब जिम्बाब्वे को लोगों की सहानुभूति खिलाड़ियों के साथ उभर आई है। सोशल मीडिया पर आईसीसी के इस फैसले की काफी आलोचना की जा रही है।गौरतलब है कि जिम्बाब्वे के खेल एवं मनोरंजन आयोग ने जून में ही जिम्बाब्वे क्रिकेट बोर्ड को निलंबित कर दिया था। इसके बाद देश में क्रिकेट को चलाने के लिए अंतरिम समिति गठित कर दी गई थी। इसी वजह से आईसीसी ने ये कदम उठाया। खेल मंत्री ने कहा कि देश में खेल के संचालन के लिए सुशासन की जरूरत थी। मैं आईसीसी के इस फैसले से काफी परेशान हूं क्योंकि इससे क्रिकेटर्स प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता के लिए बोर्ड में सुशासन की जरूरत है और इसको लेकर किए गिए किसी भी फैसले का असर खिलाड़ियों पर नहीं पड़ना चाहिए।कावेंट्री ने अपने ट्वीट में लिखा है कि हमने एसआरसी बोर्ड गठित किया है। एसआरसी सरकार नहीं है और ये एक सार्वजनिक संस्था है। उन्होंने कहा कि वो जिम्बाब्वे के पुरुष और महिला टीम के कप्तान से मुलाकात करेंगे। वहीं देखने वाली बात ये है कि उनके इस बयान के बाद आईसीसी इस पर क्या कदम उठाती है। क्या जिम्बाब्वे का निलंबन रद कर दिया जाता है या इसे जारी रखा जाता है।