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Jagdalpur News : इंद्रावती के पानी पर नहीं बनी बात, छग नहीं देगा तेलंगाना को अनुमति

जगदलपुर,। छत्तीसगढ़ शासन तेलंगाना को इंद्रावती नदी का पानी उपयोग करने की अनुमति नहीं देगा। जल संसाधन विभाग की रिपोर्ट पर शासन की ओर से केंद्रीय जल आयोग और तेलंगाना सरकार को सूचित कर दिया गया है।

तेलंगाना सरकार केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी नदी जोड़ योजनांतर्गत बीजापुर जिले की सीमा के करीब करीमनगर जिले में गोदावरी नदी को कृष्णा- कावेरी नदी से जोड़ने इंचमपल्ली, जानमपेटा के नाम से दो बड़े बैराज बना रहा है। गोदावरी इंचमपल्ली, जानमपेटा कावेरी ग्रेड एनीकट लिंक प्रोजेक्ट के नाम से प्रस्तावित इस परियोजना से नहर और पाइप लाइन के जरिए नागार्जुन सागर बांध तक पानी पहुंचाने की योजना है।

दोनों बैराज से करीब सात हजार क्यूबिक मीटर अर्थात 247 टीएमसी पानी नागार्जुन सागर में छोड़ा जाएगा। यह पानी नागार्जुन सागर से नीचे दक्षिण भारत के कई हिस्से तक जाएगा। तेलंगाना सरकार ने 19 जुलाई 1975 को गोदावरी ट्रिब्यूनल द्वारा पारित अवार्ड के तहत छत्तीसगढ़ शासन को बैराज बनाने की जानकारी देते बीजापुर जिले के भोपालपट्नम क्षेत्र में इंद्रावती नदी के पानी को अप्रयुक्त बताते उपयोग करने की अनुमति मांगी है। इसके लिए केंद्रीय जल आयोग ने छग शासन को इंचमपल्ली और जानमपेटा बैराज की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी भेजी है।

सरकार ने कहा इंद्रावती नदी में हम बनाएंगे अपनी परियोजनाएं

मिली जानकारी के अनुसार छग शासन की ओर से केंद्रीय जल आयोग को सूचित किया गया है कि इंद्रावती नदी में प्रस्तावित परियोजनाओं पर भविष्य में काम किया जाएगा। उस समय हमारी परियोजनाओं को लिए पानी की जरूरत होगी। ऐसी स्थिति में आज की स्थिति में इंद्रावती नदी के पानी को अप्रयुक्त बताकर उपयोग करने एनओसी मांगी गई है वह यदि दे दी जाती है तो हमारे प्रोजेक्ट प्रभावित हो सकते हैं। विदित हो कि इंद्रावती नदी में बोधघाट सहित नौ बड़ी सिंचाई और जल विद्युत परियोजनाएं चित्रकोट से लेकर भोपालपट्नम तक प्रस्तावित हैं। इनमें से फिलहाल एक पर भी काम नहीं हुआ है।

एनओसी दी तो ओडिशा जैसे विवाद खड़े होंगे

जल संसाधन विभाग के इंजीनियरों का कहना है कि तेलंगाना सरकार को यदि इंद्रावती के पानी का उपयोग करने की अनुमति दे दी जाती है तो भविष्य में ओड़िशा जैसा विवाद खड़ा हो सकता है। ज्ञात हो कि महानदी में ओडिशा में हीराकुंड बांध, छत्तीसगढ़ में गंगरेल, दुधावा आदि बांध महानदी पर बाद में बनाए गए। जब तक छग में महानदी में बड़े बांध नहीं थे पूरा पानी बहकर हीराकुंड बांध में चला जाता था तब तक ओड़िशा को कोई आपत्ति नहीं थी।

छग में महानदी और उसकी सहायक नदियों पर दो-तीन बांध बनाकर अपने हक का पानी रोकने के बाद ओडिशा ने छग पर महानदी के पानी को लेकर विवाद खड़ा कर दिया है। आंध्रप्रदेश में गोदावरी नदी पर पोलावरम बांध बन रहा है। इसी नदी पर तेलंगाना में बैराज बनाने के बाद इंद्रावती नदी पर प्रस्तावित परियोजनाएं तैयार कर ली गई और तेलंगाना में पानी की कमी हुई तो विवाद होना तय है।

गोदावरी की सहायक इंद्रावती सालाना ले जाती है 280 टीएमसी पानी

पड़ोसी राज्य ओड़िशा से निकलकर बस्तर में 233 किलोमीटर बहकर तेलंगाना और महाराष्ट्र राज्य की सीमा पर गोदावरी में मिलने वाली इंद्रावती नदी साल में औसतन 280 टीएमसी पानी छोड़ती है। गोदावरी ट्रिब्यूनल ने 19 जुलाई 1975 को पारित अवार्ड में गोदावरी, इंद्रावती नदी के पानी का बंटवारा किया है। तेलंगाना का कहना है कि अवार्ड के अनुसार छग अपने हक का पानी उपयोग करे और इसके बाद जो अनुपयोगी पानी बचेगा उसे उपयोग करने दे।

‘इंचमपल्ली-जानमपेटा बैराज से जुड़ी रिपोर्ट का स्थानीय स्तर पर अध्ययन करके रिपोर्ट मुख्य अभियंता कार्यालय रायपुर को भेजी गई है। हमने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इंद्रावती नदी के अप्रयुक्त पानी का बैराज के लिए उपयोग करने की अनुमति देना उचित नहीं होगा।’ -शेख शाकिर, अधीक्षण यंत्री, इंद्रावती परियोजना मंडल जगदलपुर