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सिर्फ डेंगू-मलेरिया ही नहीं West Nile Fever भी है खतरनाक

नई दिल्ली, जेएनएन।  West Nile Fever: कुछ महीने पहले भारत के केरल में एक सात साल के लड़के ने वेस्ट नाइल फीवर की वजह से जान गंवा दी। वेस्ट नाइल वायरस (WNV) ने स्पष्ट रूप से लड़के के तंत्रिका तंत्र यानि Nervous System पर असर डाला था। जिससे वजह से मुश्किलें बढ़ती गईं और दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत हो गई। डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया की तरह वेस्ट नाइल वायरस भी मच्छर से ही फैलता है। ये क्यूलेक्स मच्छर गर्मियों में ज़्यादा सक्रिय होता है।

गर्मियों में वेस्ट नाइल बुखार से मच्छर-जनित संक्रमणों का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए सावधानी बरतनी चाहिए। मच्छरों के काटने से इंसानों इसके शिकार होते हैं। वायरस अन्य संक्रमित जानवरों, उनके रक्त या अन्य ऊतकों के संपर्क के माध्यम से भी फैल सकता है। यह अंग प्रत्यारोपण, रक्त आधान यानी ट्रांसफ्यूजन और स्तन के दूध के माध्यम से भी हो सकता है।

क्या हैं वेस्ट नाइल फीवर के लक्षण 

वेस्ट नाइल फीवर प्रारंभिक लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, थकान, शरीर में दर्द, मितली, उल्टी, त्वचा पर चकत्ते (सिर्फ कभी-कभी) और लिम्फ ग्रंथियों में सूजन शामिल है। जैसे ही स्थिति गंभीर हो जाती है, गर्दन की जकड़न, भटकाव, कोमा, कंपकंपी, मांसपेशियों में कमजोरी और पक्षाघात हो सकता है।

कैसे बचें इस बीमारी से

1. संक्रमण को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका मच्छरों के काटने से बचना है। इन कीटों से बचाने वाली क्रीम का उपयोग करें, लंबी बाजू की शर्ट और पैंट पहनें और घर के अंदर-बाहर मच्छरों को नियंत्रित करने के लिए सभी कदम उठाएं।

2. मच्छर मनी प्लांट के गमले में या छत पर पानी की टंकियों में अंडे दे सकते हैं, अगर वे ठीक से ढके न हों। यदि छतों पर रखे गए पक्षियों के पानी के बर्तन को हर हफ्ते साफ करें, नहीं तो मच्छर उनमें भी अंडे दे सकते हैं।

3. मच्छरदानी या मॉस्क्यूटो रेपेलेंट का उपयोग करने का प्रयास करें।