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अब 8 लाख वार्षिक आय वाले मरीजों को भी इलाज के लिए मिलेगी सरकारी मदद; जानिए कैसे

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सभी प्रकार के कैंसर, किडनी तथा लीवर के मरीजों के लिए बड़ी राहत की खबर है। ऐसे मरीजों के इलाज हेतु मिलने वाली सहायता राशि के लिए आय सीमा बढ़ाने की तैयारी चल रही है। अब आठ लाख रुपये तक के सकल वार्षिक आय वाले मरीजों को इलाज के लिए पांच लाख रुपये तक सहायता राशि मिलेगी। पहले यह आय सीमा 72 हजार रुपये वार्षिक ही थी, जिसके कारण बड़ी संख्या में मरीज इस योजना का लाभ नहीं ले पाते थे। इस प्रस्ताव पर विकास आयुक्त की अध्यक्षता वाली योजना प्राधिकृत समिति की स्वीकृति के बाद कैबिनेट की स्वीकृति ली जाएगी।

राज्य सरकार मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना के तहत यह प्रावधान कर रही है। अभी तक इस योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करने वाले एवं 72 हजार रुपये से कम वार्षिक आय वाले परिवारों को गंभीर बीमारियों के लिए सूचीबद्ध अस्पतालों में इलाज के लिए सहायता प्रदान की जाती थी। आयुष्मान भारत योजना लागू होने के बाद इसमें सूचीबद्ध 1,408 प्रकार की बीमारियों के लिए मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना के तहत सहायता राशि नहीं मिलती है।

अब इस योजना को अधिक कारगर बनाने के लिए सभी प्रकार के कैंसर, किडनी प्रत्यारोपण एवं गंभीर लीवर रोग से पीडि़त वैसे मरीजों को जिनकी सकल वार्षिक आय लगातार तीन वर्षों तक आठ लाख रुपये से कम है, उन्हें राज्य और राज्य के बाहर सूचीबद्ध अस्पतालों में इलाज के लिए पांच लाख रुपये तक सहायता राशि मिलेगी। इसके लिए पूरी योजना में संशोधन किया जा रहा है।

एसिड अटैक के पीडि़तों के इलाज के लिए कोई आय सीमा नहीं

इस योजना में एसिड अटैक के पीडि़तों को भी शामिल किया जा रहा है। एसिड पीडि़तों के इलाज के लिए कोई आय सीमा नहीं होगी। किसी भी आय सीमा वाले ऐसे पीडि़तों को सूचीबद्ध अस्पतालों में पांच लाख रुपये तक निश्शुल्क इलाज होगा। इसकी प्रतिपूर्ति राज्य सरकार द्वारा की जाएगी।

ढाई लाख रुपये तक सिविल सर्जन देंगे स्वीकृति

प्रस्ताव के अनुसार, कैंसर, किडनी प्रत्यारोपण एवं गंभीर लीवर रोग से पीडि़त मरीजों या एसिड पीडि़तों को ढाई लाख रुपये तक की सहायता राशि पर स्वीकृति सिविल सर्जन सर्जन द्वारा दी जाएगी। इससे अधिक राशि की स्वीकृति देने का अधिकार निदेशक प्रमुख, स्वास्थ्य सेवाएं के पास होगा। दोनों स्तर पर चिकित्सा राशि की स्वीकृति की अनुशंसा के लिए कमेटियां गठित की जाएंगी।

मंत्री की अध्यक्षता में राज्य स्तर पर कमेटी

इस योजना की निगरानी एवं निरीक्षण के लिए स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय कमेटी गठित होगी। इसमें स्वास्थ्य विभाग, वित्त विभाग, कल्याण विभाग के सचिव/प्रधान सचिव के अलावा रिम्स निदेशक तथा विभाग के प्रभारी पदाधिकारी इसके सदस्य होंगे।