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पुलवामा हमले का एक साल:अफसर नेता वादा भूले तो शहीद के परिवार ने अपने खर्चे से बनवा दिया पार्क

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पुलवामा में हुए आतंकी हमले में देवरिया के लाल विजय कुमार मौर्य भी शहीद हो गए थे। शहीद के पैतृक गांव भटनी के छपिया जयदेव में प्रथम शहादत दिवस पर  उनकी छह फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण भी हुआ। शहीद के परिजनों ने अपने खर्चे से गांव में पार्क का निर्माण कर उसमें शहीद की प्रतिमा स्थापित की है। शहीद के पिता रामायन मौर्य कहते हैं कि शासन ने भी शहीद की याद में स्मारक बनाने का भरोसा दिया था, लेकिन जब कोई पहल नहीं हुई तो खुद बेटे के नाम से पार्क बनाकर मूर्ति स्थापित करने का निर्णय लिया।

शहीद विजय कुमार मौर्य के नाम पर परिवार ने बनवाया पार्क

14 फरवरी 2019 को पुलवामा हमले में शहीद हो गया था देवरिया का लाल    

14 फरवरी 2019 की रात करीब आठ बजे सीआरपीएफ में तैनात विजय कुमार मौर्य के पिता रामायन सिंह मौर्य की मोबाइल की घंटी बजी और फिर परिवार में कोहराम मच गया। जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में विजय भी शहीद हो गए थे। पहले ही अपने दूसरे जवान बेटे के बीमारी के कारण मौत से टूट चुके पिता पर इस खबर से दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा। 18 फरवरी 2019 को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शहीद के घर पहुंचे तो परिजनों ने शहीद की पत्नी और भाभी को नौकरी, गांव में शहीद स्मारक, शहीद के नाम पर गेट, गांव में चल रहे परिषदीय विद्यालय का नाम शहीद विजय मौर्य करने के साथ ही सड़क और बिजली की मांगे रखीं थीं।

करीब छह महीने परिवार ने इंतजार किया। जब किसी ने पहल नहीं की तो शहीद के पिता और पत्नी ने अपनी ही जमीन में पार्क बनवाने का फैसला किया। पार्क की चहारदीवारी बनवाई। इस वक्‍त उसके सुंदरीकरण का काम चल रहा है। आठ फरवरी को राजस्थान से शहीद की छह फुट ऊंची प्रतिमा मंगाकर उसे पार्क में स्थापित कर दिया गया है। शहीद की पहली पुण्यतिथि पर 14 फरवरी को इस प्रतिमा का अनावरण किया जाएगा।

पत्नी विजय लक्ष्मी को मिली कलेक्ट्रेट में लिपिक की नौकरी  
विजय की शहादत पर 16 फरवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनके घर पहुंचे थे। उस समय प्रदेश सरकार की तरफ से शहीद के पिता को पांच लाख रुपए और पत्नी को 20 लाख का चेक मिला था। मुख्यमंत्री ने शहीद के परिवार को ढांढ़स बंधाने के साथ ही हर संभव मदद का भरोसा दिया था। इसके बाद शहीद की पत्नी विजय लक्ष्मी को कलेक्ट्रेट में कनिष्ठ लिपिक के पद पर तैनाती दी गई। वे अब मासूम बेटी आराध्या के साथ जिला मुख्यालय पर रहकर नौकरी करती हैं।

तोरणद्वार, बिजली और सड़क का वायदा पूरा
शहीद विजय की याद में छपिया जयदेव की तरफ जाने वाले रास्ते पर प्रशासन ने तोरण द्वार का निर्माण कराया है। इसके अलावा शहीद के दरवाजे तक जाने वाले रास्ता व विद्युतीकरण का कार्य पूरा हो चुका है। शहीद के नाम पर अभी तक गांव में स्कूल का नामकरण नहीं किया गया है। डीएम अमित किशोर ने बताया कि शुक्रवार को तोरणद्वारा के अलावा शहीद के दरवाजे तक बनी सड़क आदि का लोकार्पण होगा

वर्ष 2008 में सीआरपीएफ में हुए थे तैनात
विजय कुमार मौर्य पिछले 11 वर्षो से सीआरपीएफ में तैनात थे। वे 2008 में सीआरपीएफ में कांस्टेबल के पद पर नियुक्त हुए थे। वर्ष 2014 से कश्मीर के कुपवाड़ा में उनकी तैनाती थी।

तीन भाईयों में सबसे छोटे विजय पर थी परिवार की जिम्मेदारी  
शहीद विजय कुमार मौर्य के पिता रामायन मौर्य किसान हैं। उनकी तीन संतानों में विजय सबसे छोटे पुत्र थे। बड़े भाई हरिओम मौर्य का बीमारी के चलते कुछ दिन पूर्व मौत हो गई थी। मझले भाई अशोक मौर्य गुजरात में परिवार के साथ रहते हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। ऐसे में बीए की परीक्षा पास करते ही विजय सीआरपीएफ में भर्ती हो गए। पिता घर गृहस्थी संभालते थे तो बेटा देश की सीमाओं की रक्षा करने लगा। पिता की अवस्था अधिक हो गई तो गृहस्थी संभालना मुश्किल होने लगा ऐसे में विजय जरूरत पड़ने पर छुट्टी लेकर गांव आ जाते थे।

पहली पुण्यतिथि पर शुक्रवार को शहीद बेटे की प्रतिमा का अनावरण किया जाएगा। इसमें हमारे परिवार के सभी सदस्यों के साथ ही क्षेत्र के संभ्रांत लोग मौजूद रहेंगे। कार्यक्रम में जिलाधिकारी सहित कई अधिकारियों और संभ्रांत नागरिकों को बुलाया गया है। बेटे की शहादत पर मुझे गर्व है। प्रशासन ने ज्‍यादातर वादे पूरे किए लेकिन विजय के बड़े भाई की विधवा बहू की नौकरी का वादा पूरा नहीं हुआ।

मुझे मेरे पति की शहादत पर गर्व है। जब कोई मुझे विजय मौर्य की पत्नी के रूप में बुलाता है तो सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। बेटी को भी अच्छे से पढ़ा कर सेना में भेजूंगी। शहीद स्मारक का निर्माण गांव में हम लोगों ने कराया है। प्रशासन ने भी गांव में गेट और सड़क बनवाने के अलावा कई काम कराए हैं। गांव का विद्यालय शहीद के नाम पर करने का अनुरोध किया था।