नई दिल्ली- National Science Day के मौके पर दिल्ली में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि इस धरती पर विशेष दिमाग वाले लोगों ने जन्म लिया है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में वैज्ञानिक जांच की एक लंबी और शानदार परंपरा है। प्राचीन काल से लेकर मध्ययुग और फिर आधुनिक काल तक, यह भूमि असाधारण ज्ञान का घर रही है जिसने मानवीय ज्ञान के मोर्चे को आगे बढ़ाया है।
उन्होंने आगे कहा, ‘विज्ञान उद्धरण सूचकांक पत्रिकाओं में प्रकाशनों की संख्या के मामले में, मैं आज भारत को चीन और अमेरिका के बाद तीसरे स्थान पर रखता हूं।’ उन्होंने आगे कहा कि स्वतंत्रता के बाद से, भारत ने वैज्ञानिक स्वभाव को बढ़ावा देने के लिए विशेष जोर दिया है। हमारे संविधान ने स्वयं इस रवैये को एक मौलिक कर्तव्य के रूप में परिभाषित किया है। इस प्रकार, भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वैज्ञानिक स्वभाव, मानवतावाद और जांच और सुधार की भावना को और आगे ले जाए।
राष्ट्रपति कोविंद ने संबोधन के दौरान बताया कि इस दिन 1928 में सर सी.वी. रमन ने प्रकाश पर एक बेहतरीन खोज की घोषणा की, जिसे ‘रमन प्रभाव’ के रूप में जाना जाता है। उन्हें 1930 में भौतिकी (Physics) के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जिससे वह किसी भी विज्ञान के लिए सम्मान जीतने वाले पहले एशियाई बन गए थे।
राष्ट्रपति कोविंद बोले कि इसरो की श्रीहरिकोटा रेंज की अपनी हालिया यात्रा में, मैं चंद्रयान परियोजना के लिए समर्पित एक महिला वैज्ञानिक से मिला तो पता चला कि उसने अपने माता-पिता के साथ अपने छह महीने के बेटे को छोड़ दिया था और मिशन में शामिल हो गई थी।
उन्होंने कहा कि महिलाओं को विज्ञान में उच्च अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, हमने केंद्रीय विश्वविद्यालयों में आगंतुक के रूप में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को काफी बढ़ा दिया है। महिलाओं के लिए संकाय पदों में उच्च अध्ययन और रोजगार के अनुकूल वातावरण बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है।
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, ‘राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर, आइए हम अपने वैज्ञानिक उद्यम की गुणवत्ता और प्रासंगिकता बढ़ाने का संकल्प लें। हमारे विज्ञान को हमारे लोगों के लिए उनके विकास और भलाई में योगदान देकर काम करना चाहिए।’