Thursday , December 19 2024

आईबी कर्मचारी अंकित की पोस्टमार्टम रिपोर्ट: शरीर का ऐसा कोई हिस्सा नहीं बचा, जहां चाकू ना मारा हो

Image result for आईबी कर्मचारी अंकित की images

(आईबी) में तैनात अंकित शर्मा की उपद्रवियों ने बेरहमी से हत्या की थी। उनके शरीर पर चाकू के अनगिनत निशान मिले हैं। बृहस्पतिवार को पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ। रिपोर्ट के मुताबिक, अंकित के शरीर का कोई भी हिस्सा नहीं बचा, जहां चाकू नहीं मारा गया हो।

आंत को भी निकाल लिया गया। डॉक्टरों का कहना है कि शरीर में इतने जख्म उन्होंने पहले कभी नहीं देखे। उपद्रवियों ने अंकित की हत्या करने के बाद शव को चांद बाग के नाले में फेंक दिया था। आशंका है कि कम से कम चार लोगों ने हत्या को अंजाम दिया है।

अंकित की हत्या समेत ताहिर पर उपद्रव का केस दर्ज
आम आदमी पार्टी के निगम पार्षद हाजी ताहिर हुसैन के खिलाफ बृहस्पतिवार को दयालपुर थाने में हत्या, आगजनी और हिंसा फैलाने का मामला दर्ज कर लिया गया। आईबी के जवान अंकित शर्मा की हत्या के बाद उनके परिजनों ने ताहिर पर ही हत्या करने का आरोप लगाया था।

वहीं, दिल्ली में ऐसी हिंसा पहले कभी नहीं देखी। क्रूरता की सभी सीमाओं को लांघ दिया गया। किसी को गोली तो किसी को तलवार से काटा गया है। कुछ लोगों को पेट्रोल डालकर जला डाला। ये कहना है उन फोरेंसिक विशेषज्ञों का, जो रोजाना सात से आठ शवों का पोस्टमार्टम करते हैं।

शवों की हालत देखकर वे भी सन्न हैं। पूर्वी दिल्ली के सबसे बड़े अस्पताल गुरु तेग बहादुर (जीटीबी) के शवगृह में 34 शव बृहस्पतिवार शाम तक पहुंचे, जिनमें से 9 का पोस्टमार्टम कर परिजनों को सौंप दिए। यहां करीब 38 से 40 शवों को एक साथ रखने की क्षमता है।

फोरेंसिक विभाग के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया कि हिंसा का खौफनाक मंजर उन्हें तब पता चला जब वे बुधवार को शवगृह पहुंचे थे। एक के बाद एक शव पहुंचने लगे, जिनकी हालत दिल दहला देने वाली थी। आखिर कोई किसी के लिए इतनी क्रूरता जहन में कैसे रख सकता है? महिला, बुजुर्ग और युवा उम्र तक के शव यहां लाए गए।

किसी के शरीर पर आठ से नौ तलवार के वार हैं तो किसी का आधा शरीर जला हुआ है। ये वाकई शर्मिंदगी और रोंगटे खड़े कर देने वाला मंजर है। उन्होंने बताया कि वे जीटीबी अस्पताल में 25 वर्षों से सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन उन्होंने ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं देखी। इसी विभाग के एक अन्य डॉक्टर ने कहा कि शवगृह की स्थिति को वे शब्दों में बयां नहीं कर सकते। हिंसा ने इंसानियत पर सवाल खड़े कर दिए हैं।