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पुलिस को नहीं मिली रिमांड, 14 दिन की न्यायिक हिरासत में अर्नब गोस्वामी

आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में रायगढ़ पुलिस ने बुधवार को तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. मुंबई के रहने वाले इंटीरियर डिजाइनर ने अपने सुसाइड नोट में इन तीनों के नाम का जिक्र किया था.

मुंबई के एक इंटीरियर डिजाइनर को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में रायगढ़ पुलिस ने बुधवार को रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. इस मामले में अलीबाग की मजिस्ट्रेट कोर्ट ने तीनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है, हालांकि पुलिस की ओर से पुलिस कस्टडी की मांग की गई थी जिसे अदालत ने नकार दिया. 

बुधवार रात को न्यायिक हिरासत में भेजे गए अर्नब गोस्वामी ने अब इस मामले में बेल के लिए याचिका दायर की है, जिसपर आज सुनवाई होनी है. इसके अलावा एक याचिका बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर की गई है, जिसमें अपील की गई है कि अर्नब पर लगे सभी आरोपों को खारिज कर दिया जाए. 


बता दें कि ये मामला मई 2018 का है, जिसमें 53 वर्षीय इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक ने आत्महत्या की थी और अपने सुसाइड नोट में तीन लोगों के नाम लिखे थे. नोट में अर्नब गोस्वामी के अलावा फिरोज शेख और नीतीश सारडा का नाम था.

बुधवार को अदालत में क्या हुआ?
रायगढ़ पुलिस ने बुधवार को ही अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार किया था, जिसके बाद उन्हें अदालत में पेश किया गया. ये मामला पहले बंद कर दिया गया था, जिसमें पुलिस ने कोई सबूत ना मिलने की बात कही थी. लेकिन, 15 अक्टूबर को पुलिस की ओर से दोबारा केस खोलने की इजाजत मांगी गई. 

अदालत में पुलिस की ओर से तीनों के लिए 14-14 दिन की पुलिस कस्टडी मांगी गई, जिसमें कई तर्क रखे गए और लैपटॉप में मिली फाइल्स की जांच का हवाला दिया गया. साथ ही आरोप लगाया गया कि अर्नब गोस्वामी की ओर से पीड़ित परिवार को धमकाने की कोशिश की गई थी. 

बुधवार को इस मामले की सुनवाई दोपहर एक बजे शुरू हुई, जहां अर्नब की ओर से पुलिस पर उनके साथ मारपीट का आरोप लगाया गया. अर्नब  ने अपनी पसलियां तोड़ने और शर्ट उतरवाने के भी आरोप लगाए. इन दौरान उनकी पत्नी कोर्ट की कार्रवाई रिकॉर्ड कर रही थीं जिसपर कोर्ट ने आपत्ति जताई और पूरी मीडिया को कोर्ट रूप से बाहर कर दिया. 

अर्नब  की शिकायत पर अदालत ने उनकी मेडिकल जांच का आदेश दिया, जिसके बाद शाम को फिर इस मसले पर सुनवाई हुई. हालांकि, मेडिकल जांच में किसी मारपीट की बात सामने नहीं आ सकी और अदालत ने इन आरोपों को खारिज कर दिया.

सुनवाई में अर्नब के वकील की ओर से केस के दोबारा खोले जाने पर सवाल खड़े किए, जिसपर पुलिस की ओर से कहा गया कि पुराने इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर ने केस की जांच सही तरीके से नहीं की थी. जांच अधिकारी सुरेश वराडे के खिलाफ डिपार्टमेंट में जांच हो रही है और इस केस को दोबारा जांचने की जरूरत है.

कोर्ट में करीब आठ घंटे की सुनवाई के दौरान पुलिस की ओर से पुलिस रिमांड के लिए पुख्ता तथ्य नहीं रखे गए. ऐसे में अदालत की ओर से 14 दिन की न्यायिक हिरासत की इजाजत दी गई. इसके बाद तीनों ही आरोपियों को अलीबाग जेल में ले जाया गया. जबतक जमानत पर कोई फैसला नहीं होता है, तबतक तीनों को अलीबाग जेल में रहना होगा.