भवन की सीमा में आने वाली प्रत्येक वस्तु घर के वास्तु को प्रभावित करती है। इसके कई नकारात्मक व सकारात्मक प्रभाव भी होते हैं। घर की खूबसूरती बढ़ाने के लिए लगाए गए पेड़-पौधे भी घर के वास्तु को प्रभावित करते हैं।
वास्तु के अनुसार घर में कांटेदार व दूध वाले पौधे नहीं लगाना चाहिए। क्योंकि कांटे नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। गुलाब जैसे कांटेदार पौधे लगाए जा सकते हैं।
बोनसाई पौधे भी घर में तैयार नहीं करने चाहिए और न ही बाहर से लाकर लगाने चाहिए। बोनसाई पौधे घर वालों का विकास रोकते हैं।
घर या कार्यस्थल की सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए ताजा फूल आवश्यक है। फूलों के गुलदस्ते ताजगी व सौभाग्य की वृद्धि करते हैं। मुरझाए फूल व पत्तियां नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करती हैं।
प्लास्टिक या रेशम के फूल भी घर में सजा सकते हैं किंतु इनकी साफ-सफाई समय पर होती रहनी चाहिए।
शयन कक्ष में पौधे नहीं लगाने चाहिएं। डाइनिंग व ड्रॉइंग रूम में गमले रखे जा सकते हैं।
यदि किसी दीवार में पीपल उग आए तो उसे पूजा करके हटाते हुए गमले में लगा देना चाहिए। पीपल को बृहस्पति गृह का कारक माना जाता है।
कैसी हो घर की बाउण्ड्री वॉल?
घर चाहे छोटा हो या बड़ा, गांव में हो या शहर में बाउण्ड्री वॉल यानि चारदीवारी अवश्य बनाई जाती है।
घर की बाउण्ड्री वॉल बनवाते समय इन बातों का ध्यान अवश्य रखें-
बाउण्ड्री की नींव तो गहरी ही खुदवाएं। नीचे से डेढ़ या दो फुट मोटी पत्थर की दीवार बनवाएं किंतु प्लींथ से ऊपर दीवार की चौड़ाई कम से कम रखें।
भवन निर्माण से पूर्व ही बाउण्ड्री वॉल की नींव भर देनी चाहिए ताकि नकारात्मक प्रभाव को भूखण्ड में आने से रोका जा सके।
आगे की बाउण्ड्री वॉल पर लोहे की, सीमेंट की अथवा पत्थर की रैलिंग लगवाई जा सकती है। बाउण्ड्री वॉल व रैलिंग का शिल्प भवन के शिल्प से मेल खाता हुआ होना चाहिए।
सामने की बाउण्ड्री वॉल की ऊंचाई अधिक नहीं रखनी चाहिए ताकि हवा व प्रकाश अवरुद्ध न हो सके।
चारदीवारी घर की सुरक्षा के साथ-साथ घर में अतिरिक्त ऊर्जा के प्रवाह को रोकने में भी मदद करती है।
चारदीवारी टूटी-फूटी न हो, टूट-फूट या प्लास्टर उखडऩे पर तुरंत मरम्मत करवा दें।