Friday , December 20 2024

भागलपुर के नेतृत्व में बिहार के 9वीं से 12वीं तक के शिक्षक सीखेंगे शिक्षण कौशल

बिहार में सरकारी स्कूल के शिक्षकों में शिक्षण कौशल के सतत विकास के लिये अब सभी को नियमित रूप से प्रशिक्षण दिया जाएगा। शिक्षकों के प्रशिक्षणों के लिये एक नीति बनाई जायेगी। इसके लिए शिक्षा विभाग ने एक समिति बनाई है। कक्षा नौवीं से 12वीं तक के लिए बनाई गई इस समिति के नेतृत्वकार्ता भागलपुर स्थित सीटीई (अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय) के प्राचार्य डॉ. राकेश होंगे।

डा. राकेश कुमार ने बताया कि अभी प्रशिक्षण होता है लेकिन इसकी रणनीति नहीं है। अभी कई ऐसे शिक्षक हैं जो बार-बार प्रशिक्षण लेते हैं। वहीं, कई ऐसे शिक्षक हैं जो एक बार भी प्रशिक्षण नहीं लिये हैं। इससे सभी छात्रों तक सही ढंग से प्रशिक्षण का लाभ नहीं मिल पाता है। इसके लिये बनाई गई समिति एक ऐसी रणनीति बनाएगी जिसमें सभी शिक्षकों को आवश्यकतानुसार प्रशिक्षण मिल सके। यह प्रशिक्षण एक बार न मिले बल्कि नियमित रूप से मिलते रहे। 
उन्होंने बताया कि इस प्रशिक्षण से शिक्षकों में शिक्षण कौशल का सतत विकास हो सकेगा। इसके अलावा नये शिक्षण पाठों पर समझ बनाने में सहायता मिलेगी। पाठ्यपुस्तकों के कठिन विषयों पर समस्यायें आती रहती हैं। लेकिन इस कठिन विषयों पर भी प्रशिक्षण के माध्यम से स्पष्टता लाई जायेगी। 

समिति में ये हैं शामिल
डा. राकेश कुमार के नेतृत्व में बनी इस समिति में राज्य के विभिन्न शिक्षण संस्थानों के अन्य पांच शिक्षाविद् शामिल हैं। इनमें पटना स्थित आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के डीन ज्ञानदेव मणि त्रिपाठी, दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय गया के सहायक प्राचार्य डा. चन्दन श्रीवास्तव, मोतिहारी स्थित महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्रो. आशीष श्रीवास्तव, एसबी विश्वविद्यालय गया के एजुकेशन के डीन प्रो. कौशल किशोर और बांका स्थित प्रोजेक्ट कन्या उच्च विद्यालय खड़हरा के डा. रमेश झा शामिल हैं।

भागलपुर सीटीई के शिक्षकों का भी होगा सहयोग
डा. राकेश कुमार ने कहा कि समिति की बैठक भागलपुर में ही कराने का प्रयास किया जायेगा। इसमें भागलपर के सीटीई के शिक्षकों एवं अन्य शिक्षाविदों का भी सहयोग लिया जायेगा। इस प्रशिक्षण का लाभ सिर्फ शिक्षकों को ही नहीं बल्कि बीएड और एमएड के छात्रों को भी मिलेगा ताकि ये छात्र अच्छे शिक्षक के तौर पर तैयार हो सकें और भविष्य में इसका लाभ छात्रों तक पहुंचे सके।