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विधान परिषद चुनाव में सफल रही भाजपा सरकार और संगठन की रणनीति, वित्तविहीन शिक्षकों ने पैदा किया फर्क

विधान परिषद चुनाव में पहली बार शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र की सीटों पर कब्जा करने की योगी सरकार व भाजपा संगठन की रणनीति कामयाब रही। भाजपा ने पहली बार शिक्षक क्षेत्र की छह में से चार सीटों पर चुनाव लड़कर तीन सीटों पर कब्जा जमाया है।

भाजपा ने दो साल पहले से ही विधान परिषद के शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र का चुनाव लड़ने का निर्णय कर तैयारी शुरू कर दी थी। सरकार ने वित्तविहीन शिक्षकों की ताकत को भांपते हुए इस चुनाव में उनके मताधिकार का रास्ता साफ कर दिया, जिसका सियासी लाभ भी पार्टी को हुआ।
पहले वित्तविहीन शिक्षकों को मताधिकार के लिए जिला विद्यालय निरीक्षक के सत्यापन की बाध्यता थी। योगी सरकार ने इस बाध्यता को समाप्त कर शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से विधान परिषद के चुनाव में वित्तविहीन शिक्षकों को मताधिकार का रास्ता साफ कर दिया। इससे शिक्षक क्षेत्र के मतदाताओं की संख्या वर्ष 2014 की तुलना में डेढ़ गुना से ज्यादा बढ़ गई।
यही नहीं पार्टी ने चुनावी रणनीति के तहत वित्तविहीन शिक्षक महासभा के संरक्षक उमेश द्विवेदी को भाजपा में शामिल कराकर लखनऊ से उम्मीदवार भी घोषित कर दिया। पार्टी ने एक-एक बूथ की रणनीति तैयार कर मतदाताओं की संख्या बढ़ाने पर काम किया। वहीं, चुनाव में सरकार के मंत्रियों और पार्टी के पदाधिकारियों को चुनाव प्रबंधन की कमान सौंपी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने समय-समय पर चुनावी रणनीति को अंजाम दिया। नतीजा रहा कि विधान परिषद में पहली बार भाजपा के तीन एमएलसी शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते नजर आएंगे।