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मुख्यमंत्री डीएवी पब्लिक स्कूलों के अस्तित्व पर संकट, नियमित शिक्षकों को दस माह से वेतन नहीं

बिलासपुर। मुख्यमंत्री डीएवी पब्लिक स्कूलों के अस्तित्व पर संकट खड़ा हो गया है। पूर्ववर्ती भाजपा शासनकाल में माडल स्कूलों को मुख्यमंत्री डीएवी पब्लिक स्कूल में परिवर्तित किया गया था। डीएवी प्रबंधन से अनुबंध के आधार पर भाजपा शासनकाल में स्कूलों का संचालन व्यवस्थित तरीके से होता रहा। कांग्रेस के सत्तासीन होने के बाद इन स्कूलों के संचालन को लेकर समस्या खड़ी हो गई है। संविदा आधार पर सेवा दे रहे शिक्षक- शिक्षिकाओं की सेवा अवधि इस सत्र में नहीं बढ़ाई गई। जो नियमित शिक्षक- शिक्षिकाएं इन स्कूलों में सेवाएं दे रहे हैं, उन्हें दस माह से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है।

शासन स्तर से भी स्कूलों के व्यवस्थित संचालन के लिए कोई पहल नहीं हो रही है। ऐसे में इन स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों के साथ उनके अभिभावक भी परेशान हो चुके हैं। सेटअप के अनुरूप किसी भी विद्यालय में शिक्षक- शिक्षिकाओं की पदस्थापना नहीं होने से विषय विशेषज्ञों की कमी सामने आने लगी है। एक- दो शिक्षकों पर ही सभी विषयों के पढ़ाई का जिम्मा आ गया है। आनलाइन पढ़ाई में भी शिक्षकों की कमी उभर कर सामने आने लगी है।

सीबीएसई पाठ्यक्रम पर आधारित माडल स्कूलों का संचालन पूर्ववर्ती भाजपा शासनकाल में किया गया था। सरकार की मंशा थी कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले स्कूली विद्यार्थियों को आज के प्रतिस्पर्धा के अनुरूप तैयार किया जाए। माडल स्कूलों का संचालन करने के दौरान ही इन स्कूलों को डीएवी प्रबंधन के सुपुर्द कर दिया गया था। मुख्यमंत्री डीएवी पब्लिक स्कूल के नाम पर प्रत्येक विकासखंड में एक-एक विद्यालय संचालित किए जा रहे थे। डीएवी प्रबंधन द्वारा सारी व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही थी। अनुबंध के अनुरूप राज्य सरकार की ओर से भी आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही थी।

अब छत्तीसगढ़ प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने शासकीय उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल आरंभ कर दिए हैं। ऐसे में पूर्व से संचालित मुख्यमंत्री डीएवी पब्लिक स्कूलों के अस्तित्व पर संकट खड़ा हो गया है। कोरोना की वजह से इन विद्यालयों में भी आनलाइन पढ़ाई हो रही है। शिक्षा सत्र आरंभ होने से पहले ही राज्य सरकार द्वारा अंग्रेजी माध्यम के उत्कृष्ट विद्यालयों के संचालन का निर्णय ले लिया गया था, इसलिए मुख्यमंत्री डीएवी पब्लिक स्कूलों में सेवा देने वाले संविदा शिक्षक शिक्षिकाओं की सेवा अवधि इस शिक्षा सत्र में नहीं ली गई।उनकी संविदा अवधि नहीं बढ़ाई गई।

वर्तमान में मुख्यमंत्री डीएवी पब्लिक स्कूलों में एक नियमित प्राचार्य,एक लिपिक तथा एक-दो नियमित शिक्षक- शिक्षिका ही पदस्थ है इन्हें भी दस माह से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। स्थानीय स्तर पर डीएवी मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूलों के व्यवस्थित संचालन को ले कर आ रही बाधाओं से बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है। विषयवार शिक्षक नहीं है शिक्षक शिक्षिकाएं अलग समस्या से जूझ रहे हैं। समय पर वेतन भुगतान सहित दूसरी बुनियादी जरूरतों की पूर्ति के लिए स्थानीय स्तर पर कोई भी जवाबदारी लेने को तैयार नहीं है।

उत्कृष्ट अंग्रेजी स्कूलों पर पूरा ध्यान

सरकार का पूरा फोकस शासकीय उत्कृष्ट अंग्रेजी विद्यालयों पर ही है। इन स्कूलों की व्यवस्था बेहतर कर विषयवार शिक्षकों की नियुक्ति कर सारी सुविधा सुनिश्चित की जा रही है। मुख्यमंत्री डीएवी पब्लिक स्कूलों को छोड़ दिया गया है। शिक्षा विभाग की ओर से भी किसी प्रकार की कोई पहल नहीं की जा रही है।

प्रत्येक ब्लाक में एक-एक विद्यालय

सरगुजा जिले के प्रत्येक विकासखंड में मुख्यमंत्री डीएवी पब्लिक स्कूल संचालित है। अंबिकापुर विकासखंड का विद्यालय ग्राम परसा में संचालित किया जा रहा है। इसी प्रकार लखनपुर, उदयपुर, मैनपाट, सीतापुर बतौली और लुंड्रा विकासखंड में भी मुख्यमंत्री डीएवी स्कूल संचालित है। सीबीएसई पाठ्यक्रम वाले इन स्कूलों में 12वीं तक की पढ़ाई होती है। स्थापना के बाद से ही दसवीं और बारहवीं बोर्ड परीक्षा का इन स्कूलों का परिणाम आशाजनक नहीं रहा है। धीरे-धीरे धीरे परिणाम में सुधार आ रहा था, लेकिन शिक्षक शिक्षिकाओं की कमी के कारण चालू सत्र में कई बच्चों ने इन स्कूलों से नाम वापस ले लिया और दूसरे स्कूलों में दाखिला ले लिया है।

हमारी जबाबदारी मानिटरिंग की : डीईओ

जिला शिक्षा अधिकारी आईपी गुप्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री डीएवी पब्लिक स्कूल का स्कूल शिक्षा विभाग के साथ अनुबंध जरूर है। मगर, सारी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने का काम डीएवी प्रबंधन का है। स्थानीय स्तर पर उनकी जवाबदारी सिर्फ मानिटरिंग की है। स्कूलों के संचालन को लेकर यदि किसी प्रकार की दिक्कत की शिकायत सामने आती है, तो वे प्रबंधन के अधिकारियों से जानकारी लेंगे।