बिहार में ओवरलोड गाड़ियों से सड़कों को 16 गुना नुकसान हो रहा है। यानी, जिस सड़क को 16 साल तक ठीक रहना चाहिए, वह मात्र एक साल में ही खराब हो जा रही है। पथ निर्माण विभाग की ओर से किए गए एक आकलन में इसका खुलासा हुआ है।
विभाग के एक वरीय इंजीनियर ने कहा कि सड़क नुकसान को लेकर बीते दिनों आकलन हुआ था। रिपोर्ट के अनुसार ओवरलोड गाड़ियों के कारण सड़कों को काफी नुकसान हो रहा है। यह नुकसान 16 गुना अधिक आंका गया है। सबसे अधिक नुकसान ट्रकों के पहिये से हो रहा है। मेन रोड पर जाम लगते ही जल्दी गंतव्य स्थानों तक पहुंचने के लिए सिंगल रोड का सहारा ट्रक चालक लेते हैं। ऐसे में अगर एक साथ आमने-सामने से दो ट्रक आ जाएं तो दोनों अपना एक-एक हिस्से का पहिया सड़क के नीचे उतार देते हैं। जैसे ही वह सड़क पर चढ़ाते हैं, सड़कों को काफी नुकसान होता है। ट्रक के पहिए से अगर एक बार सड़क खराब हुई तो इसके बाद आने वाले ट्रकों से नुकसान बढ़ता चला जाता है।
हाल ही में सरकार ने तय किया है कि बालू एवं गिट्टी का परिवहन किसी भी परिस्थिति में 14 चक्के या उससे अधिक चक्के के ट्रकों में नहीं होना चाहिए। बालू एवं गिट्टी का परिवहन 6 से 10 चक्का के ट्रकों में अधिकतम 3 फीट की ऊंचाई डाला तक जबकि 12 चक्का के ट्रकों में अधिकतम 3 फीट 6 ईंच की ऊंचाई के डाला तक ही किया जाए। इस आदेश के पहले ट्रक चालक अपनी मर्जी से बालू-गिट्टी आदि की ढुलाई कर रहे थे। हालांकि सरकार के इस आदेश के बाद भी ट्रकों पर अधिक क्षमता में सामान की ढुलाई जारी है।
पथ निर्माण के इंजीनियरों के अनुसार आठ-10 टन के रोलर से बनने वाली सड़कों पर अधिकतम 20 टन तक गाड़ियों की आवाजाही हो सकती है। ऐसी सड़कें सिंगल रोड होती हैं। लेकिन ऐसी सड़कों पर अगर 40 टन का माल लेकर ट्रक गुजरे और वह जैसे ही सड़क से नीचे उतरेगी कि उसे नुकसान होना तय है।