Friday , December 20 2024

बिहार की अदालतों में 11.91 लाख केस लंबित, 12 फीसदी में ही सजा, स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े जारी

बिहार की अदालतों में मुकदमों का बोझ लगातार बढ़ रहा है। स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2018 में सूबे में कुल 10.67 लाख केस लंबित रह गए थे, जबकि 2019 के खत्म होने के बाद इसकी कुल संख्या 11.91 लाख हो गई है। दिलचस्प बात है कि कुल ट्रायल में से दो फीसदी मामलों में ही अदालत फैसला सुना पायी। इसमें भी 12 फीसदी मामलों में ही सजा मिल सकी। फैसला आए बाकी मुकदमों के आरोपितों को दोषी साबित नहीं किया जा सका। 

ब्यूरो के रिकॉर्ड के अनुसार, 2019 में अदालतों में कुल 20726 केस का ट्रायल पूरा हो पाया। इसमें से 2574 दोषियों को सजा मिली और 17920 आरोपितों को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया। आंकड़ों का विश्लेषण करने से पता चलता है कि अदालतों में चल रहे हर 10 मुकदमों में से एक में ही एक साल में फैसला आ पाता है। बाकी के नौ केस अगले साल सुनवाई के लिए लंबित ही रह जाते हैं। बता दें कि ये आंकड़े सिर्फ जिलों के हैं। इसमें रेलवे के मामले शामिल नहीं हैं।

98 फीसदी मुकदमे रह गए लंबित, अब आगे होगी सुनवाई 
ब्यूरो के रिकॉर्ड के मुताबिक, राज्य में मुकदमों के लंबित रहने की रफ्तार काफी अधिक है। करीब 98 फीसदी मुकदमों में दर्ज हुए साल में फैसला नहीं आ पाता। वर्ष 2018 व 2019 में कुल लंबित मामलों का औसत निकाले तो पता चलता है कि करीब 98 फीसदी मामले लंबित रह जाते हैं। सीधे तौर पर देखा जा सकता है कि वर्ष 2018 के अंत में राज्य में कुल 1067731 मामले पेंडिंग थे। 2019 के अंत में पेंडिंग मामलों की संख्या 1167267 हो गई। साल दर साल बढ़ते मुकदमों के बोझ के कारण फैसलों में देरी हो रही है। 

मुकदमों की संख्या के अलावा और भी हैं कारण 
मुकदमों के फैसले आने में देरी की वजह इनकी संख्या बढ़ना ही नहीं है। कई बार समय पर चार्जशीट दाखिल न होने तो अक्सर गवाहों के समय पर उपस्थित न होने के कारण भी फैसला आने में अनावश्यक देर होती है। संसद में उठे सवाल में पांच जनवरी 2019 को सरकार ने जवाब दिया था कि बिहार में न्यायाधीश के कुल 1847 पद स्वीकृत हैं, जिनके सापेक्ष 1152 न्यायाधीश ही कार्यरत हैं। न्यायाधीश के 695 पद वर्ष 2019 में बिहार में खाली पड़े हुए थे।  

पेंडिंग केस वाले टॉप पांच जिले
जिला            लंबित मामले        सजा की दर 

पटना             141643              0.7 फीसदी
मोतिहारी          80984               100 फीसदी
मुजफ्फरपुर       56835                24.6 फीसदी
सारण             47987                47.2 फीसदी
गया               41733                12.9 फीसदी

अदालतों में मामला लंबित रहने के कई कारण हैं। समय पर चार्जशीट दाखिल न होना, गवाह का समय पर प्रस्तुत न होना तो कारण है ही। कोर्ट या न्यायाधीश की संख्या कम होना भी इसका बड़ा कारण है। अभी हर कोर्ट में मुकदमों का अंबार लगा है। उस हिसाब से कोर्ट की संख्या नहीं बढ़ायी जा रही है, क्योंकि न्यायाधीशों की भारी कमी है।