बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार में देर को लेकर सियासी गलियारों में कयासों का दौर जारी है। कयास यह भी लगाया जा रहा है कि सत्ता के दो प्रमुख किरदार जदयू और भाजपा में मंत्रियों की संख्या या विभागों को लेकर पेच फंसा है। हालांकि दोनों दलों के शीर्ष नेता किसी पेच या आपसी गतिरोध से लगातार इनकार करते रहे हैं। पर जिस तरह की चुप्पी दोनों दलों में पसरी है उससे साफ है कि जनवरी में अब मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पाएगा। सबकुछ ठीक रहा तो फरवरी के पहले हफ्ते में ही नए मंत्री शपथ ले सकेंगे। विस्तार में देरी पर पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कह चुके हैं कि भाजपा के कारण देरी हो रही है। ऐसे में यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा की ओर से अब तक मंत्रियों के नाम तय नहीं हो सके हैं।
उधर, गुरुवार को भी जदयू और भाजपा ने मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर एनडीए में किसी मसले के होने की अटकलों को खारिज किया। जदयू के वरिष्ठ नेता व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि कहीं कोई जिच नहीं है। उन्होंने कहा कि बजट सत्र की तिथि घोषित की जा चुकी है और जल्द से जल्द मंत्रिमंडल का विस्तार संभव है। वहीं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने भी जोर देकर कहा कि कोई जिच नहीं है। कभी भी बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है।
एनडीए एकजुट, जल्द होगा मंत्रिमंडल विस्तार: BJP
संख्या या विभागों के बंटवारे में होने वाली परेशानी के सवाल पर जायसवाल ने कहा कि यह सब मीडिया के एक वर्ग का किया धरा है। एनडीए एकजुट है और जल्द मंत्रिमंडल विस्तार हो जाएगा। पर जानकारों का कहना है कि कहीं न कहीं कोई जिच जरूर है। चाहे सरकार के किसी खास विभाग को लेकर मसला हो या फिर दोनों प्रमुख घटकों की सरकार में भागीदारी अर्थात मंत्रियों की संख्या को लेकर सहमति का मामला हो। हालांकि, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद डॉ. संजय जायसवाल ने मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चल रहे कयासों को खारिज किया।
वैसे परंपरा रही है कि शपथ ग्रहण समारोह में जो विभाग जिस घटक दल के पाले में चला गया, आगे मंत्रिमंडल का विस्तार होने पर उसी दल के जिम्मे रहता है। इसके अनुसार फिलहाल सरकार के 44 विभागों में से 20 जदयू, 21 भाजपा, दो हम और एक वीआईपी के पास है। सियासी गलियारों में हो रही चर्चाओं के मुताबिक भाजपा 36 में 22 मंत्री अपना चाहती है। ऐसे में 14 मंत्री जदयू के होंगे। दोनों दलों को क्रमश: वीआईपी और हम को इसी में समायोजित करना होगा। मुख्यमंत्री को छोड़कर फिलहाल 13 मंत्री हैं। 23 और की गुंजाइश है। इसमें फामूर्ला 12 भाजपा, 11 जदयू का हो या बराबरी का, इनको लेकर भी पेच की अटकले लगाई जा रही हैं। वैसे मंत्रिमंडल के मौजूदा स्वरूप में जदयू- भाजपा के बीच हुए विभागों के बंटवारे से यह समझा जा रहा था कि दोनों दल अतिरिक्त प्रभार वाले विभागों में ही नए मंत्रियों को जिम्मेवारी देंगे।
दोनों पक्षों के शीर्ष नेता पिछले माह भर से कह रहे हैं कि मंत्रिमंडल का विस्तार ‘जल्द’ होगा। अब सवाल यह है कि यह जल्द कब आएगा। चर्चा थी कि 27 से 29 जनवरी के बीच विस्तार हो जाएगा। भूपेन्द्र यादव जब 25 को आए तो सियासी गलियारे में अटकलें तेज हुई कि विस्तार हो जाएगा लेकिन 27 की शाम उनके दिल्ली लौट जाने और अब तीन दिनों तक भाजपा के सभी नेताओं के प्रशिक्षण में फंसे होने से इतना तो तय दिखता है कि जनवरी में नए मंत्रियों का शपथ ग्रहण मुमकिन नहीं होगा।
गुरुवार को वीआईपी प्रमुख पशु संसाधन मंत्री मुकेश सहनी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की। मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चल रही अटकलों के बीच इस मुलाकात पर सहनी ने साफ कहा कि मंत्री होने के नाते मुख्यमंत्री से मिलना स्वभाविक है। विभागीय कामकाज और नीति तय करने में मुख्यमंत्री का मार्गदर्शन लेते रहता हूं। मंत्रिमंडल विस्तार पर कहा कि कोई जिच नहीं है, और कभी भी नए मंत्री बनाए जा सकते हैं।