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बिहार के शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने अपनी प्राथमिकताएं तो बता दी लेकिन उनके सामने हैं ये 5 बड़ी चुनौतियां

बिहार के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने पद संभालने के बाद अपनी प्राथमिकताएं तो बता दी लेकिन उनके सामने कई बड़ी चुनौतियां भी हैं। सबसे बड़ी चुनौती पहली से लेकर 12वीं तक के 1.25 लाख शिक्षकों की नियुक्ती को लेकर है। शिक्षा मंत्री ने कहा है कि शिक्षकों के लिए हमलोग अधिकाधिक सुविधापूर्ण माहौल बनायेंगे, लेकिन वे बच्चों को गुणवान बनाएं। विद्यालयों का माहौल बेहतर करने में जुटें। शैक्षिक वातावरण को ऊंचा करने में योगदान दें। 

पत्रकारों के साथ बातचीत में शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्राथमिक स्कूलों से लेकर उच्च शिक्षा तक बिहार के शिक्षण संस्थानों का पुराना गौरव लौटे, हमारा यही लक्ष्य है। पटना विवि की पहचान इसके शिक्षकों से थी, वे देशभर में पहचाने जाते थे। हम कोशिश करेंगे कि योग्य शिक्षक नियुक्त हों। मेरा ये नहीं मानना है कि जो बहाल हैं वे अयोग्य हैं। शिक्षकों में मेधा की कमी नहीं है, पर वे अपना शत प्रतिशत योगदान दें तो निश्चत रूप से बदलाव दिखेगा। 

विजय चौधरी ने कहा कि उनकी प्राथमिकता सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों से बेहतर बनाने की होगी। सरकारी स्कूल ऐसे हो जाएं कि निजी में जाने की आवश्यकता ही न रह जाय। मंत्री ने विभाग की चुनौतियां पर कहा कि शिक्षा विभाग बजट और समाज के विकास में योगदान के लिहाज से सबसे बड़ा है। विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर कामकाज का बेहतर माहौल बनायेंगे। शिक्षक, छात्र, अभिभावक सबको मिलकर काम करना होगा। शिक्षक रीढ़ हैं। गुणवत्ता शिक्षा उन्हीं पर निर्भर करता है। सरकारी की जिम्मेवारी जरूरतों की पूर्ति की है। शिक्षकों से अपील करते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि वे अपना दायित्व बखूबी निभाएं, उनकी परेशानी, कठिनाइयां हम देखेंगे। सरकारी नियमों और प्रावधानों की सीमा में शिक्षकों को नियुक्ति या अन्य अनुमान्य के लिए कोर्ट न जाना पड़े, हम यह प्रयास करेंगे। 

5 बड़ी चुनौतियां 
– पहली से लेकर 12वीं तक के सवा लाख शिक्षकों की नियुक्तियां 
– स्कूलों में गुणवत्ता शिक्षा की बहाली 
– स्कूलों में बच्चों की हो रही कमी को रोकना 
– स्कूलों-कॉलेजों में उपस्थिति बढ़ाना 
– योजनाओं का लाभ समय पर पहुंचाना 

प्राथमिकताएं 
– सरकारी स्कूलों को प्राइवेट से बेहतर बनाना 
– शिक्षकों बच्चों को अपने ज्ञान का शत प्रतिशत दें 
– कोरोना काल में बाधित हुई पढ़ाई की भरपाई 
– शिक्षण संस्थानों का पुराना गौरव लौटाना 
– शिक्षकों के लिए सुविधापूर्ण माहौल बनाना