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गंगा में गंदे नालों का पानी सीधे गिराने पर हाइकोर्ट नाराज

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हाईकोर्ट ने गंगा में गंदे नालों का पानी बिना शोधित किए सीधे गिराने पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने पूछा है कि इलाहाबाद, कानपुर और वाराणसी में कितने नाले सीधे गंगा में गिराए जा रहे हैं। इन जिलों में एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) की क्या स्थिति है। कितने एसटीपी काम कर रहे हैं और कितने बंद पड़े हैं। प्रदेश सरकार को अगली सुनवाई के दौरान इस पर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है

कोर्ट ने यह भी पूछा है कि प्रति दिन कितने एमएलडी सीवेज इन शहरों में उत्सर्जित होता है और कितनी शोधन क्षमता है। सभी जिलों में एसटीपी को क्रियाशील रखने का निर्देश दिया है। गंगा प्रदूषण जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ सुनवाई कर रही है।

न्यायमित्र अरुण गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि इलाहाबाद में डाली गई सीवर लाइन को अभी घरों से नहीं जोड़ा गया है। नालों का गैरशोधित पानी सीधे गंगा में गिराया जा रहा है।
मुख्य स्थायी अधिवक्ता रमेश उपाध्याय और स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि अगली तारीख पर इन मामलों में उचित कार्यवाही का हलफनामा दाखिल किया जाएगा।

अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव ने कोर्ट में गंगा में सीधे गिरने वाले 14 नालों का फोटोग्राफ दाखिल किया। फोटोग्राफ देखने के बाद अदालत ने कड़ी नाराजगी जताई तथा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिवक्ता से अगली तारीख पर रिपोर्ट मांगी है।