वाराणसी : विकास प्राधिकरण द्वारा बनाया गया मास्टर प्लान 2031 अधूरा है, इसलिए योजनाओं को जमीन पर लाने में कठिनाइयां हो रही हैं और आपेक्षित विकास भी नहीं हो पा रहा। मास्टर प्लान को मुकम्मल करने के लिए जोन स्तरीय खाका खींचना होगा ताकि बारीकी से नगर का विकास हो सके।
ये बातें सोमवार को वाराणसी बिल्डर्स एंड डेवलपर्स एसोसिएशन की ओर से आयोजित सुनियोजित विकास विषयक परिचर्चा में निकल कर सामने आई। मुख्य अतिथि प्रदेश के दर्जा प्राप्त मंत्री शतरुद्र प्रकाश ने साफ कहा कि अब तक नगर विकास के लिए वाराणसी विकास प्राधिकरण की ओर से जो योजनाएं बनाई गई हैं, उससे सुनियोजित विकास संभव नहीं है। कहा कि बनारस देश के अन्य शहरों की तुलना में भिन्न है। यहां की संकरी गलियां ही विश्व में अलग पहचान देती हैं। इन गलियों को छेड़े बिना उसकी मौलिकता को बरकरार रखते हुए नगर का विकास करना होगा जबकि वीडीए गलियों को चौड़ा करने की सलाह मास्टर प्लान में दे रहा है। कहा कि पुराने शहर का जीर्णोद्धार कर विकसित किया जाए जबकि आधुनिक शहर बसाने के लिए शहर के बाहर मंथन किया जाए।
निम्न व मध्यम आय के लिए आवास
शतरुद्र प्रकाश ने बिल्डरों से अपील की कि निम्न व मध्यम आय वर्ग के लिए भी आवास बनाएं। इस पर बिल्डरों ने ऐसा नहीं कर पाने के पीछे खुद की मजबूरियों को सामने रखा। शतरुद्र प्रकाश ने भरोसा दिया कि निम्न व मध्यम आय वर्ग के लोगों की खातिर आवास बनाने के लिए शहर से बाहर सड़क, बिजली, पानी आदि इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराने का शासन-प्रशासन से प्रयास करेंगे।
वीडीए की बैठक में हो भागीदारी
परिचर्चा में एसोसिएशन के अध्यक्ष अनुज डिडवानिया ने संगठन द्वारा किए कार्यो को सभी के समक्ष रखा। उपाध्यक्ष अभिनव पांडेय ने वीडीए की बैठक में एसोसिएशन के सदस्यों को भी शामिल करने की मांग की। इस मौके पर सचिव रमन सिंह, आलोक राय, आरसी जैन, लोकेश गुप्ता, विनय डिडवानिया, आकाशदीप, जीत सिन्हा, मयंक गुप्ता आदि ने भी विचार रखे। स्वागत व धन्यवाद अनिल सिंह ने ज्ञापित किया।
चर्चा में ये निर्णय हुए
-गलियों व ऐतिहासिक धरोहरों की मौलिकता से न हो छेड़छाड़।
-सेटेलाइट टाउन बसाने के लिए शहर के बाहर तैयार करें इंफ्रास्ट्रक्चर।
-स्मार्ट सिटी में उच्चकोटि की हो परिवहन व्यवस्था।
-शहर के एक से दूसरे छोर तक पहुंचने में लगे अधिकतम 45 मिनट।
-गलियों से रोड तक आने में लगे महज 10 मिनट।
-24 घंटे सातों दिन मिले बिजली, पानी व सफाई व्यवस्था।
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