लखनऊ । उत्तर प्रदेश ब्रिज कारपोरेशन ने रिकार्ड समय 505 दिन के भीतर लखनऊ की वास्तुकला के अनुरूप दिल्ली आईआईटी के इंजीनियर की कलात्मक डिजाइन के आधार पर ,नए साल में पुराने लखनऊ के लोगो को ,गोमती ब्रिज की सौगात दिया है । अब पक्का पुल से सीतापुर की ओर जाने वाली ट्रैफिक को जमा से दो- चार नही होना पड़ेगा।
पुराने लखनऊ की विरासत को बनाए रखने के लिए विशेष हेरिटेज जोन बना है । जिसको सजाने सवारने के लिए अखिलेश सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए |जिसमे एक था, पक्के पुल जैसी उसी के पास एक और गोमती पुल का निर्माण । इस ब्रिज का शिलान्यास 28 जनवरी 2014 को हुआ था | लेकिन टिल्ले वाली मस्जिद के इमाम के विरोध के चलते पुल का निर्माण कार्य बन्द करना पड़ा । पुराने लखनऊ में सोतापुर की तरफ जाने के लिए एकमात्र पुल पक्का पुल पर लम्बी जाम लगने से |पर्यटक ऐतिहासिक इमारतों के दीदार करने में अपना रुख मोड़ लेते थे । पर्यटन को बढ़ावा मिले इसको ध्यान में रखकर पश्चिमी लखनऊ के विधायक अभिषेक मिश्रा के प्रयास से पुनः रूमी दरवाजा के पास से कुडिया घाट से होते हुए | 14 अगस्त 2016 को ” ब्रिज कारपोरेशन ने तीव्र गति से ब्रिज के निर्माण में जाना-माना इंजीनियर घनश्याम पाण्डेय” की टीम को लगाया । इस टीम को दिल्ली आईआईटी के प्रो डा विपुल प्रकाश ने लख़नऊ की वास्तुकला व पक्के पुल जैसा डिजाइन दिया उसके बाद गोमती पुल की पहली कंक्रीट 14अगस्त को किया गया और रिकार्ड समय 505 दिन में बनाकर लखनऊ के विकास में एक और ब्रिज को बनाकर कारपोरेशन ने कीर्तिमान बनाया ।
इस पुल की लम्बाई 303 मीटर 11पीलर और लागत 24•93 करोड़ रुपया की आई है । जिसको बनने में मात्र 505 दिन लगी है ।
इस पुल के निर्माण के सम्बन्ध में ब्रिज कारपोरेशन के वरिष्ठ इंजीनियर घनश्याम पाण्डेय ने बताया की पुल के निर्माण में मंत्री अभिषेक मिश्रा का विशेष योगदान रहा । मैंने इसके निर्माण में एक डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर अखिलेश सिंह , सहायक अभियन्ता वीपी सिंह व जेई रणविजय सिंह को लगाया । जिन्होंने मेरे निर्देश का पालन करते रहे । जिससे हम रिकार्ड समय में इस गोमती ब्रिज को जनता के लिए नए साल में सौपे है । इस पुल की डिजाइन पुल के पीलर के बीच बने अर्ध गोलाकार आर्च है जिसको बनाना किसी चुनौती से कम नही था , जो समय लिया ।