पिछले एक पखवारे से कोहरे की धुंध ने सबकी दिनचर्या प्रभावित कर दी है। बुधवार की सुबह घना कोहरा इस कदर छाया था कि समीप से आ रहे लोग दिखाई नहीं दे रहे थे। इससे सरकारी व गैर सरकारी कार्यालयों में कार्य करने वाले लोगों को दफ्तर पहुंचने में काफी परेशानी हुई। वहीं ट्रेन से यात्रा कर रहे लोगों को कोहरे के चलते काफी परेशानी होती दिखीं, ट्रेनें 8,10 व 15 घंटे विलम्ब से पहुंच रही थी। ऐसे में उनको असमय उतरने से गंतव्य को जाने के लिए बस आदि नहीं मिल रहे थे, जिनसे उन्हें काफी परेशानी हुई। यही नहीं शहर के विभिन्न इलाकों में निवास करने वाले लोगों को बाजार में पहुंचने के लिए काफी इंतजार के बाद ई रिक्शा व टेम्पो मिल रहे थे, वो भी सात बजे से पहले तो नहीं मिल पा रहे थे।
आज घने कोहरे का आलम यह था कि दोपहर बाद तक भी सूरज के दर्शन नहीं हुए, दोपहर बाद हल्की सूर्य की किरणें दिखाई दी, लोग अपने दफ्तरों व दुकानों से आगे खड़े होकर गुनगुनी धूप का आनन्द लेते देखे गये। शहर के रेलवे स्टेशन पर तो मानो मेला जैसा दृश्य देखने को मिल रहा था, जो यात्री उतर रहे थे, वह पूरी तरह कोट, जैकेट व अन्य ऊनी वस्त्रों से पूर्णरूप से अपने को सुरक्षित किये थे, हालांकि प्रशासन की ओर से स्टेशन पर अलाव की व्यवस्था थी, जहां वह थोड़ी देख आग की गर्मी लेकर ही अपने गंतव्य को रवाना हो रहे थे। बाजार में भी लोगों अपने जरूरी सामानों की खरीदारी दोपहर बाद ही करते देखे गये।
ठंड व कोहरे के कारण गरीब तबके के लोगों की सब्जी आलू का भाव बढ़ने लगा है। वहीं पालक, फूलगोभी आदि की भी कीमतों में इजाफा है। ठेले खोमचे पर दुकान लगा अपनी गृहस्थी चलाने वाले लोगों को कोहरे से खासा परेशानी हो रही है, कारण यह है कि इनकी दुकान सुबह व शाम ही चलती है, जो कोहरे व कड़कड़ाती ठंड के चलते सुबह लोग निकल नहीं पा रहे हैं, वहीं शाम होने से पहले अपने सुरक्षित ठौर पर लोग पहुंच जा रहे हैं, इससे चनाचूर, गोलगप्पा, दाना आदि के ठेले व खोमचे के दुकानदारों को आर्थिक परेशानी हो रही है। हां यह जरूर है कि चाय की दुकानों पर लोगों की खासा जमात हर जगह देखी जा रही है, जो जिधर से पहुंच रहा है वह एक कप चाय की चुस्की जरूर ले रहा था। कुल मिलाकर कहा जाय तो हर तरफ कोहरे ने दिनचर्या अव्यवस्थित कर दिया है।