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कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष चयन की उलटी गिनती शुरू, करन महारा सहित तीन विधायकों के बीच दौड़

कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष के चयन की प्रक्रिया अंतिम दौर में पहुंच गई। विधायक दल के उपनेता करन माहरा इस वक्त दौड़ में सबसे आगे हैं। प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह समेत पार्टी के दस विधायकों में से पांच से ज्यादा का समर्थन करन के साथ बताया जा रहा है। हालांकि अभी जागेश्वर विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल और भगवानपुर विधायक ममता राकेश का नाम अब भी चर्चा में तेजी से शामिल है। नेता प्रतिपक्ष पर रविवार शाम तक निर्णय होने की उम्मीद की जा रही है। सूत्रों के अनुसार हाईकमान के बुलावे पर आज दिल्ली पहुंचे प्रीतम सिंह की प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव के साथ एक दौर की बातचीत हो गई है। सूत्रों के अनुसार प्रीतम ने खुलकर माहरा के नाम की पैरवी की है।

प्रीतम ने प्रभारी से कहा है कि विधायक दल का उपनेता होने की वजह से माहरा का नेता प्रतिपक्ष पद पर स्वभाविक दावा बनता है। दूसरी तरफ, माहरा दो दिन से दिल्ली में डेरा डाले बैठे माहरा ने भी आज प्रभारी से लंबी मुलाकात की। मंगलौर विधायक काजी निजामुद्दीन, पुरोला विधायक राजकुमार भी प्रभारी से मिले। धारचूला विधायक हरीश धामी के रविवार तक दिल्ली पहुंचने की उम्मीद है। इन्हें माहरा का समर्थक माना जाता है। सूत्रों के अनुसार जहां प्रीतम सीधा सीधा माहरा को नेता प्रतिपक्ष बनाने के पक्ष में है, वहीं वहीं पूर्व सीएम रावत ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं।

सूत्रों अनुसार रावत ने माहरा के नाम पर आपत्ति तो नहीं की है, लेकिन हां भी नहीं कहा है। जागेश्वर विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल और भगवानपुर विधायक ममता राकेश को नेता प्रतिपक्ष बनाने क चर्चाओं पर भी रावत गंभीर है। सूत्रों के अनुसार रावत ने भी आज देर शाम तक प्रभारी के साथ विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। कल दोपहर नेता प्रतिपक्ष के मुद्दे पर फिर से बैठक होनी है।

सोशल मीडिया पर अध्यक्ष बदलने की अटकलेंदिल्ली में नेता प्रतिपक्ष चयन की कवायद शुरू होते ही सोशल मीडिया पर कांग्रेस में बडे बदलाव की अटकलों ने भी जोर पकड़ लिया। सोशल मीडिया पर दावे किए जा रहे हैं कि प्रीतम को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर नेता प्रतिपक्ष बनाया जा सकता है। उनकी जगह सांसद प्रदीप टम्टा, पूर्व मंत्री तिलकराज बेहड़ और पूर्व राष्ट्रीय सचिव प्रकाश जोशी में से एक को संगठन की कमान सौँपी जा सकती है। हालांकि शीर्ष नेताओं ने इसे केवल अटकल मात्र बताया है।

हरीश और किशोर के बीच बढ़ी नजदीकियां
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और पूर्व सीएम हरीश रावत के बीच हाल में बढ़ी नजदीकियों से भी कांग्रेस भीतर हल्की गरमाहट है। विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद वर्ष 2017 में कांग्रेस हाईकमान ने किशोर को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया था। सामुहिक हार के बावजूद अकेले खुद पर गाज गिराए जाने की टीस आज तक किशोर के मन में हैं। उत्तराखंड के ब्राहमण-ठाकुर जातीय समीकरण में कांग्रेस का एक वर्ग किशोर के लिए नई संभावनाएं बनती देख रहा है।

नेता प्रतिपक्ष के चयन पर मंथन चल रहा है। सभी शीर्ष नेताओं के साथ विचार विमर्श जारी है। आने वाले दो दिन के भीतर तस्वीर साफ हो जाएगी।