दक्षिण पश्चिम जिला के वाहन चोरी निरोधक शाखा ने कंप्यूटर व स्कैनर की मदद से नकली नोट तैयार करने और उसे बेचने वाले दो लोगों को गिरफ्तार किया है।
पुलिस के मुताबिक दोनों दो साल से इस धंधे से जुड़े थे। पहले वे सौ रुपये के नकली नोट तैयार करते थे। जिला पुलिस उपायुक्त सुरेंद्र कुमार ने बताया कि नोटबंदी के बाद बाजार में नकली नोट के चलन की जानकारी पुलिस को मिली थी।
वाहन चोरी निरोधक शाखा के निरीक्षक राजकुमार को इस मामले में जानकारी इकट्ठा करने का निर्देश दिया गया। पुलिस की टीम ने नकली नोट तैयार करने वाले गिरोह को दबोचने के लिए तकनीकी जांच और मुखबिरों की मदद ली।
पुलिस को जानकारी मिली कि उत्तम नगर व द्वारका में गिरोह सक्रिय हैं। 9 जनवरी को हवलदार प्रताप को दो लोगों के बारे में जानकारी मिली जो पचास फीसदी पर नकली नोट मुहैया कर रहे थे।
इस सूचना पर पुलिस नकली ग्राहक बनकर बिंदापुर इलाके में आशीष व किशन को दबोच लिया। उन लोगों ने दो हजार के नोट के बदले में पांच सौ के चार हजार के नकली नोट दिए थे। पुलिस ने उनके निशानदेही पर दो हजार व पांच सौ के छह लाख दस हजार पांच सौ रुपये बरामद कर लिए।
साथ ही पुलिस ने उनके पास से नकली नोट बनाने में इस्तेमाल होने वाले सीपीयू, प्रिंटर, की बोर्ड और माउस जब्त कर लिया। आशीष 12वीं तक पढ़ने के बाद मोबाइल रिपेयरिंग कोर्स कर चुका है।
उसने मोबाइल की दुकान भी खोली थी। वहीं किशन 12वीं तक पढ़ा है। साथ ही उसने डेस्क टॉप पब्लिशिंग (डीटीपी) कोर्स किया है। उसने प्रिटिंग प्रेस खोली थी। वह निजी स्कूल में पढ़ाने के साथ साथ कॉल सेंटर, मोबाइल व ऑटो मोबाइल कंपनी में काम कर चुका है।
पांच माह पहले वह हरियाणा के नरनॉल में अगरबत्ती बेचता था। जांच में पता चला कि दो साल पहले दोनों की मुलाकात हुई। वे पहले सौ व उससे छोटे नोट बनाते थे लेकिन नोटबंदी के बाद दोनों दो हजार व पांच सौ के नोट तैयार करने लगे। आरोपियों ने बताया कि वे नकली नोट को साप्ताहिक बाजार, रेहड़ी व पटरी वालों को बेच देते थे।