जुलाई में लगातार दूसरे महीने थोक महंगाई घटकर 11.16 प्रतिशत पर आ गई, लेकिन प्याज, पेट्रोल, रसोई गैस, मिनरल ऑयल, बेसिक मेटल, खाने-पीने के सामान, कपड़े, रसायन आदि की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते यह दो अंकों से नीचे नहीं आ रही। मंत्रालय ने कहा, जुलाई, 2021 में मुद्रास्फीति की ऊंची दर की वजह निचला आधार प्रभाव और कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस; विनिर्मित उत्पादों मसलन मूल धातु, खाद्य उत्पादों, परिधान, रसायन और रसायन उत्पादों के दामों में बढ़ोतरी है।हालांकि, जुलाई में लगातार तीसरे महीने खाद्य वस्तुओं के दाम कम हुए। जुलाई में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति शून्य रही। यह जून में 3.09 प्रतिशत थी। हालांकि, इस दौरान प्याज महंगा हुआ। प्याज की मुद्रास्फीति 72.01 प्रतिशत के ऊंचे स्तर पर थी। कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की मुद्रास्फीति जुलाई में 40.28 प्रतिशत रही, जो जून में 36.34 प्रतिशत थी। विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति जुलाई में 11.20 प्रतिशत रही, जो जून में 10.88 प्रतिशत थी। रिजर्व बैंक ने अपनी पिछली मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों को रिकॉर्ड निचले स्तर पर कायम रखा है। मौद्रिक समीक्षा तय करते समय केंद्रीय बैंक खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है। पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई में खुदरा मुद्रास्फीति की दर घटकर 5.59 प्रतिशत पर आ गई।
इनसे मिली थोड़ी राहत
जुलाई में घटी कीमत (% में)
- आटा -2.35
- सब्जियां -8.73
- आलू -36.35
- फल -3.52
ये बढ़ा रहे हैं चिंता
जुलाई में बढ़ोतरी (% में)
- प्याज 72.01
- तिलहन 40.75
- एलपीजी 36.25
- पेट्रोल 56.58
- वसा 42.89
तिलहन के दाम करीब 41 फीसदी बढ़े
जुलाई 2021 में भी महंगाई दो अंकों की ऊंची दर में बने रहने की वजह यह है कि पेट्रोल, रसोई गैस, मिनरल ऑयल, बेसिक मेटल, खाने-पीने के सामान, कपड़े, रसायन आदि के दाम में इजाफा हुआ है। इस दौरान तिलहन के दाम में 40.75 फीसदी का भारी इजाफा हुआ है। इस दौरान ईंधन और बिजली के दाम में 26.02 फीसदी,मैन्युफैक्चर्ड वस्तुओं के दाम में 11.20 फीसदी और खाने-पीने के सामान के दाम में 4.46 फीसदी की बढ़त हुई है। दालों के दाम में 8.34 फीसदी की बढ़त हुई है, जबकि सब्जियों के दाम में 8.73 फीसदी की गिरावट आई है। इसी तरह आलू के दाम में 36.35 फीसदी की गिरावट आई है।
मई में बना था रिकॉर्ड
थोक मुद्रास्फीति दर मई में 13.11% के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर थी। यह नया रिकॉर्ड स्तर था। वहीं, जून में भी थोक महंगाई 12.07% रही थी। गौरतलब है कि वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित इससे जुड़े आंकड़े हर महीने की 14 तारीख या उसके अगले कार्यदिवस को जारी करता है। कोरोना की दूसरी लहर के कारण थोक महंगाई दर मई महीने में रिकार्ड स्तर पर पहुंची थी। हालांकि, अभी भी यह दोहरे अंक में बना हुआ है जो एक चिंता की बात है।