कोरोना की दूसरी लहर से उबरकर भारतीय अर्थव्यवस्था की सुधार रफ्तार तेज हुई। दुनिया की 10 सबसे बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में भारत तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। दूसरी लहर की चुनौतियों से पार पाकर भारत के निर्यात में तेजी आने के साथ इसके शेयर बाजार ने भी दम दिखाया है। देश के शेयर बाजार का पूंजीकरण हर माह करीब 0.4 फीसदी की तेजी से बढ़ रहा है। मिंट मनी के इमर्जिंग मनी ट्रैकर के आंकड़ों के आकलन में यह बात सामने आई है।
देश | कंपोजिट इंडेक्स अंक में | जीडीपी वृद्धि फीसदी में | पीएमआई अंक में | निर्यात वृद्धि फीसदी में | महंगाई फीसदी में | बाजार पूंजीकरण वृद्धि |
मैक्सिको | 76 | 19.7 | 49.6 | 125.2 | 5.8 | 0.2 |
रूस | 63 | 10.3 | 47.5 | 72.9 | 6.5 | -2.3 |
भारत | 63 | 1.6 | 5.3 | 49.8 | 5.6 | 0.4 |
चीन | 63 | 7.9 | 50.4 | 19.3 | 1 | -0.2 |
इंडोनेशिया | 52 | 7.1 | 40.1 5 | 4.5 | 1.5 | -0.3 |
ब्राजील | 49 | 1 | 56.7 | 31.5 | 9 | -3.7 |
तुर्की | 46 | 7 | 54 | 46.9 | 19 | -2.6 |
थाइलैंड | 34 | -4.2 | 48.7 | 43.8 | 0.5 | -6.8 |
फिलिपिंस | 33 | -8.3 | 50.4 | 17.6 | 4 | -3.4 |
मलेशिया | 31 | -3.4 | 40.1 | 31.5 | 3.4 | -4.1 |
(नोटः इंडेक्स स्कोर और पीएमआई अंक में, जीडीपी, निर्यात वृद्धि और बाजार पूंजीकरण फीसदी में, आयात कवर माह में)
रिकॉर्ड विदेशी मुद्रा भंडार
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार वर्तमान समय में 620 अरब डॉलर के स्तर पर है। इस मामल में भारत दुनिया के शीर्ष चार देशों में जिनका विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब डॉलर से अधिक है। विदेशी मुद्रा भंडार की बदौलत भारत के पास 14.3 माह के आयात खर्च के लिए पर्याप्त राशि है। वर्ष 1991 में भारत के पास एक समय महज एक हफ्ते के आयात खर्च के लिए राशि बची हुई थी।
तेजी से बढ़ रहा निर्यात
भारत की निर्यात वृद्धि दर 49.8 फीसदी रही है। इस पैमाने पर भारत 10 उभरती अर्थव्यवस्थाओं में चौथे स्थान पर है। चीन भी भारत से पीछे है। इसमें 125 फीसदी वृद्धि के साथ मैक्सिको शीर्ष पर है। जबकि 72.9 फीसदी के साथ रूस दूसरे और 54.5 फीसदी के साथ इंडोनेशिया तीसरे स्थान पर है। निर्यात में तेजी की वजह से भारत को कई फायदे मिल रहे हैं। एक तरफ उत्पादन से क्षेत्रों में रोजगार बढ़ रहा है। वहीं निर्यात से विदेशी मुद्रा आ रही है।
बाजार पूंजीकरण में सबसे आगे
मेक्सिको, रुस, चीन, इंडोनेशिया, ब्राजील समेत दुनिया 10 उभरती अर्थव्यवस्थाओं में भारतीय शेयर बाजार निवेशकों को सबसे अधिक लाभ पहुंचा रहा है। भारतीय शेयर का पूंजीकरण हर माह 0.4 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। इतना ही नहीं इस सूची में शामिल मैक्सको को छोड़कर अन्य देशों के बाजार पूंजीकरण में भारी गिरावट आई है। रूस का बाजार पूंजीकरण जहां 2.3 फीसदी घटा है। वहीं चीन के बाजार के पूंजीकरण में 0.2 फीसदी की गिरावट आई है।
रुपये की कमजोरी बनी चुनौती
डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर में हर मा करीब 1.3 फीसदी की गिरावट आई है। हालांकि, सूची में शामिल मैक्सिको को छोड़कर भारत समेत सभी देशों की मुद्रा में गिरावट आई है। विशेषज्ञों का कहना है कि दुनिया की अन्य मुद्राओं की तुलना में डॉलर की मजबूती की वजह से ऐसा हुई है। लेकिन इसके बावजूद डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी चिंता का विषय है।