पाम ऑयल के मामले में आत्मनिर्भर बनने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य तेल–पाम ऑयल मिशन (एनएमईओ-ओपी) को मंजूरी दी है। ये मंजूरी ऐसे समय में दी गई है जब पतंजलि समूह के मुखिया योगगुरु रामदेव पाम ऑयल के कारोबार पर जोर दे रहे हैं। रामदेव लंबे समय से पाम ऑयल के आयात को कम करने की मांग करते रहे हैं। बीते दिनों उन्होंने पाम ऑयल को लेकर पतंजलि समूह का प्लान भी बताया था।
क्या है प्लान: दरअसल, पतंजलि समूह के नेतृत्व वाली कंपनी रुचि सोया ने असम, त्रिपुरा और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में ऑयल-पाम के बागान शुरू करने की योजना बनाई है। यही नहीं, पाम के बागानों के लिए क्षेत्र सर्वेक्षण भी किया गया है। बीते दिनों रामदेव ने बताया था कि हमारे पास असम, त्रिपुरा, मेघालय, मणिपुर सहित अन्य राज्यों के लिए योजनाएं हैं। रामदेव के मुताबिक भारत को खाद्य तेल में आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं। योजना का आधार तैयार कर लिया गया है। हालांकि रामदेव ने यह नहीं बताया कि बागानों को लगाने की शुरुआत कब की जाएगी। ऐसा माना जा रहा है कि रुचि सोया एफपीओ के माध्यम से फंड जुटाने के बाद इस प्लान पर काम कर सकती है।
सरकार का क्या है मिशन: सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य तेल–पाम ऑयल मिशन (एनएमईओ-ओपी) को मंजूरी दी है। यह केंद्र द्वारा प्रायोजित एक नई योजना है और इसका फोकस पूर्वोत्तर के क्षेत्रों तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर है। इस योजना के लिये 11,040 करोड़ रुपए का वित्तीय परिव्यय निर्धारित किया गया है, जिसमें से केंद्र सरकार 8,844 करोड़ रुपए का वहन करेगी। इसमें 2,196 करोड़ रुपए राज्यों को वहन करना है। इस योजना के तहत प्रस्ताव है कि वर्ष 2025-26 तक पाम ऑयल का रकबा 6.5 लाख हेक्टेयर बढ़ा दिया जाए और इस तरह आखिरकार 10 लाख हेक्टेयर रकबे का लक्ष्य पूरा कर लिया जाए। आपको बता दें कि भारत मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया से पाम तेल का आयात करता है। इस योजना के तहत प्रस्ताव है कि वर्ष 2025-26 तक पाम ऑयल का रकबा 6.5 लाख हेक्टेयर बढ़ा दिया जाए और इस तरह आखिरकार 10 लाख हेक्टेयर रकबे का लक्ष्य पूरा कर लिया जाए। आपको बता दें कि भारत मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया से पाम तेल का आयात करता है।