दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को उत्तरी दिल्ली नगर निगम को कर्मचारियों को वेतन और पेंशन के भुगतान में देरी के लिए कड़ी फटकार लगाई। उच्च न्यायालय ने चेताया कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो मजबूरन निगम की संपत्ति की कुर्की और संपत्तियों की बिक्री का आदेश देना पड़ेगा।
उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि क्या निगम के अस्पतालों को प्रबंधन के लिए केंद्र या दिल्ली सरकार को सौंपना पड़ेगा क्योंकि निगम लंबे समय से वित्तीय मुद्दों का सामना कर रहा है। इस मुद्दे पर अभी भी नागरिक निकाय द्वारा विचार नहीं किया गया है।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि निगम इस मुद्दे की मांग के अनुसार कोई तात्कालिकता कदम उठाता नहीं दिख रहा है। पीठ ने कहा कि अब से कर्मचारियों और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को वेतन और पेंशन के भुगतान में किसी भी तरह की देरी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
पीठ ने कहा कि अगर निगम का रवैया नहीं बदला तो निगम की संपत्तियों की कुर्की और बिक्री का आदेश देने में उन्हें कोई संकोच नहीं होगा। उच्च न्यायालय ने पहले निगम को इस मुद्दे पर निर्णय लेने का निर्देश दिया था कि क्या उसके छह अस्पताल केंद्र या दिल्ली सरकार को सौंपे जाने चाहिए। बाद में निगम की तरफ से पेश अधिवक्ता दिव्य प्रकाश पांडे ने बताया कि निगम आयुक्त ने कदम उठाया है। अब यह मामला पार्षदों के पास लंबित है। अधिवक्ता पांडे ने कहा कि प्रस्ताव को पहले सदन ने खारिज कर दिया था। इसपर, पीठ ने कहा कि निगम के पास दोनों तरीके नहीं हो सकते है कि एक तरफ तो वह अस्पतालों पर अपना आधिपत्य बनाए रखे और उसका राजस्व लेता रहे लेकिन जब खर्च की बात आए तो धन की कमी का रोना रोने लगे। इसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पीठ ने कहा कि अब जब निगम कहेगा कि उसके पास धन नहीं है तो तुरंत उसकी संपति कुर्की व बिक्री का आदेश दिया जाएगा। पीठ ने अब सख्त रवैया अपनाया है।