भारतीय ऑटोमोबाइल और कलपुर्जा इंडस्ट्री को चीन पर अपनी आयात निर्भरता को खत्म करने की जरूरत है। इसके लिए स्थानीय स्तर पर काम करना चाहिए। ऑटो इंडस्ट्री को ये सलाह नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने दी है। अमिताभ कांत ने भारतीय वाहन कलपुर्जा विनिर्माता संघ (एसीएमए) के एक कार्यक्रम में ये बात कही है।
क्या कहा अमिताभ कांत ने: उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया का दृष्टिकोण बेहद स्पष्ट है और अब स्थानीयकरण को बढ़ावा देना ही होगा। अमिताभ कांत के मुताबिक भारत इलेक्ट्रिक वाहनों के मोटर्स, सेमीकंडक्टर-आधारित घटकों और अन्य इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स में इस्तेमाल होने वाले मैग्नेट के लिए चीन पर निर्भर है। इसे केवल कम ही नहीं, बल्कि समाप्त किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार निर्यात बढ़ाने के लिए सभी स्तरों पर नए अवसर पैदा कर रही है। अमिताभ कांत ने बताया कि फेम-2 योजना के तहत चयनित नौ शहरों में 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिक बसें होने के बाद इलेक्ट्रिक चार पहिया वाहनों को भी प्रोत्साहन देने पर विचार किया जाएगा। अमिताभ कांत ने उद्योग को यह भी कहा कि बीएस-6 उत्सर्जन नियमों को पूरा करने के लिए जरूरी कुछ हिस्सों को चीन से मंगाया जाता है, लेकिन अगली दो तिमाहियों में स्थानीय स्तर पर तैयार करने की कोशिश करनी होगी।
एक दिन पहले अमिताभ कांत ने कहा था कि भारत को इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अगुवा बनाना होगा। ये काम वाहन उद्योग को करना है। उन्होंने कहा था कि अगले दो साल के दौरान बैटरियों के दाम और नीचे आएंगे। इससे उपभोक्ताओं के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों के अधिग्रहण की लागत कम होगी। नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि देश में दोपहिया, तिपहिया और चार पहिया, कॉमर्शियल वाहनों के साथ लंबी दूरी के वाहनों का ‘चैंपियन’ बनने की क्षमता है।