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New labour Code: सप्ताह में मिलेगी तीन दिन की छुट्टी? पीएफ से लेकर इन हैंड सैलरी तक होंगे ये बदलाव, 1 अक्टूबर से नियम बदलने की तैयारी में मोदी सरकार

New Labour Code 1st October: सप्ताह में तीन दिन की छुट्टी की मांग कर्मचारी लम्बे समय से करते आ रहे हैं। लेकिन अब उनकी मांग को लेकर सरकार गंभीर दिखाई दे रही है। केन्द्र की मौजूदा मोदी सरकार 1 अक्टूबर को नया श्रम कानून लागू कर सकती है। जिसमें सप्ताह में तीन दिन छुट्टी की बात कही गई है! यानी तब सप्ताह में सिर्फ चार दिन ही काम करना होगा। लेकिन ऐसी स्थिति में आपका ऑफिस टाइम पहले के मुकाबले बढ़ जाएगा। साथ ही नया कानून लागू होते ही आपके पीएफ से लेकर इन हैंड सैलरी तक कई बदलाव होने की संभावना है। आइए एक-एक कर जानते हैं कि नए श्रम कानून का आप पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?

सप्ताह में मिलेगी तीन दिन की छुट्टी 

भारत सरकार के श्रम एंव रोजगार मंत्रालय के अनुसार कर्मचारियों को 9 के बजाए 12 घंटे की शिफ्ट करनी पड़ सकती है। जिसमें हर पांच घंटे पर आधा घंटा का ब्रेक मिलेगा। वहीं, सप्ताह में 48 घंटे काम करना होगा। अगर कोई व्यक्ति रोजना 8 घंटे काम करता है तो उसे सप्ताह में 6 दिन काम करना होगा। वहीं, दिन में 12 घंटे काम करने वाले व्यक्ति को सप्ताह तीन छुट्टी मिलेगी।  

बढ़ेगा पीएफ घटेगी इन हैंड सैलरी 

नए कानून के मुताबिक सैलरी स्ट्रक्चर में भी बदलाव आएगा। इस कानून के मुताबिक कर्मचारियों की बेसिक सैलरी 50 प्रतिशत से अधिक होनी चाहिए। अगर ऐसा हुआ तो जहां प्रोविडेंट फंड बढ़ जाएगा वहीं, इन हैंड सैलरी में कटौती घटकर मिलेगी। 

देशभर में सभी कर्मियों को मिलेगी मिनिमम सैलरी 

नए श्रम कानून के अनुसार देश भर के कर्मियों को अब मिनिमम सैलरी देनी होगी। इसे खासतौर पर प्रवासी मजदूरों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इससे कर्मियों को सोशल सिक्योरिटी मिलेगी। देश भर में आर्गेनाइज्ड और अनआर्गेनाइज्ड सेक्टर के कर्मचारियों को इम्प्लाॅयज स्टेट इंश्योरेंस कवर भी मिलेगा। साथ ही इससे नए कानून में महिलाओं को नाइट शिफ्ट करने की भी अनुमति मिलगी।              

बुढ़ापा होगा सुरक्षित 

हमेशा लोगों को अपनी रिटायरमेंट की चिंता सताती रहती है। अब इस नए कानून की वजह से पीएफ बढ़ेगा। नियमों के अनुसार नियोक्ता को भी कर्मचारी के बराबर पैसे जमा करना होता है। ऐसे पीएफ बैलेंस बढ़ने जा रहा है। जहां इससे एक तरफ कर्मचारियों को सीधा फायदा होगा। वहीं, दूसरी तरफ कंपनियों पर बोझ बढ़ेगा।