रिटायर्ड सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों को पीपीएफ खाते की बीमा रकम परिपक्व होने का झांसा देकर ठगने वाले गैंग का खुलासा हुआ है। पुलिस का कहना है कि आरोपियों ने देशभर में दस हजार लोगों से करीब सौ करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है।
साइबर सेल और इंदिरापुरम पुलिस ने शनिवार को ग्रेटर नोएडा के गौर सिटी स्थित एक फ्लैट से तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनके कब्जे से 14 मोबाइल और 33 एटीएम कार्ड भी बरामद किए गए हैं। पुलिस के मुताबिक, आरोपी सेवा प्रदाता कंपनी से सरकारी कर्मचारियों का डेटा खरीदकर रिटायर्ड कर्मचारियों को चिन्हित करते थे। इसके बाद ईपीएफ कार्यालय से होने का हवाला देकर फोन करते थे।
बीमा राशि परिपक्व होने की जानकारी देकर कर्मचारियों को बातों में उलझाते थे। जब पीड़ित को यकीन हो जाता था तब आरोपी प्रोसेसिंग फीस के नाम पर निश्चित रकम लोगों से मांगते थे। साथ ही बैंकिंग जानकारी हासिल करने की फिराक में भी जुटे रहते थे। बैंकिंग जानकारी हासिल होते ही आरोपी खातों में मौजूद रुपयों को निकाल लेते थे। मोबाइल पर मैसेज आने के बाद लोगों को धोखाधड़ी की जानकारी होती थी।
नौ वर्ष से धोखाधड़ी कर रहे : पुलिस पूछताछ में सामने आया कि आरोपी वर्ष 2012 से धोखाधड़ी कर रहे थे। इस दौरान आरोपी पॉश सोसाइटी में फ्लैट लेकर कॉल सेंटर चलाते थे। इसके लिए युवक-युवतियों को काम पर रखते थे।
”तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। गिरोह में शामिल अन्य आरोपियों की तलाश की जा रही है। इन्हें भी जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा”- ज्ञानेंद्र सिंह, एसपी, ट्रांस हिंडन
गरीबों से खाते खरीदते थे
साइबर सेल प्रभारी सीओ इंदिरापुरम अभय मिश्रा ने बताया कि आरोपी गरीबों से उनका खाता 8-10 हजार रुपये देकर खरीद लेते थे। इसके बाद खाते से संबंधित एटीएम कार्ड, पासबुक, चेकबुक सहित सभी दस्तावेज अपने पास रखते थे। फिलहाल अभी तक साइबर सेल ने आरोपियों के 46 बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया है, जबकि प्रारंभिक जांच में साइबर सेल व इंदिरापुरम पुलिस को 52 बैंक खातों में एक अरब रुपये के लेन-देन की जानकारी मिली है। आरोपियों का साथी सुमित बैंक खाते दिलाने का काम व अंकित सिम उपलब्ध कराने का काम करता था।
हिस्सेदारी में होता था काम
राहुल निवासी खोड़ा, घनश्याम निवासी सेक्टर-49 नोएडा व धर्मेंद्र निवासी सेक्टर-20 नोएडा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस का कहना है कि गैंग का सरगना राहुल बीकॉम पास है। घनश्याम ने कम्प्यूटर साइंस में 12वीं की है। साथ ही दसवीं पास धर्मेंद्र सैलरी पर आरोपियों के साथ काम करता था। राहुल व घनश्याम पार्टनर के रूप में काम करते थे। कॉल सेंटर में लड़कियों को रखते थे। इस दौरान काम कर रहे लोगों की सैलरी व खर्च काटने के बाद राहुल व घनश्याम बची रकम आपस में बांट लेते थे। वहीं, आरोपी घनश्याम वर्ष 2015 में हैदराबाद में दस लाख रुपये के धोखाधड़ी मामले में जेल भी जा चुका है।