दिल्ली में कथित तौर पर खुद को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारी और वकील बताकर कई लोगों से पैसों की उगाही करने वाले एक फिल्म निर्माता सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस ने कहा कि आरोपियों की पहचान फिल्म निर्माता और शकरपुर निवासी संतोष राय, दिलशाद कॉलोनी निवासी भूपेंद्र सिंह गुसाईं, कुलदीप कुमार और संजय दोनों यमुना विहार निवासी के रूप में हुई है।
पुलिस ने कहा कि ईडी से एक शिकायत प्राप्त हुई थी जिसमें कहा गया था कि उसे पिछले कुछ दिनों में कई शिकायतें मिली हैं, जिसमें पता चला है कि एक व्यक्ति ईडी के अधिकारी के रूप में लोगों को फर्जी नोटिस भेज रहा था और उन्हें फोन कर रहा था।
पुलिस ने कहा कि प्रारंभिक जांच में सामने आया कि नोटिस मध्य क्षेत्र कार्यालय के विशेष क्षेत्रीय अधिकारी राजीव सिंह के नाम से भेजे गए थे, लेकिन ऐसा कोई पद या व्यक्ति था ही नहीं। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जांच के बाद आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि जांच के दौरान पता चला कि आरोपी ईमेल भेजने के लिए स्पूफिंग ऐप का इस्तेमाल कर रहे थे। उन्होंने पीड़ितों को धमकाने के लिए विभिन्न सरकारी दफ्तरों के स्पूफिंग लैंडलाइन नंबरों के जरिए फोन भी किए।
पुलिस उपायुक्त (क्राइम) मोनिका भारद्वाज ने कहा कि एक जाल बिछाया गया और संतोष राय जो खुद को राजीव कुमार सिंह और भूपेंद्र सिंह गुसाईं जो खुद को एक वकील बताते थे को संसद मार्ग पुलिस स्टेशन के पास से गिरफ्तार कर लिया गया, जहां वे एक पीड़ित से जबरन वसूली के पैसे लेने आए थे। इनके बाद दो और लोगों को गिरफ्तार किया गया।
पुलिस ने कहा कि यह भी पता चला कि अफजल अहमद ने कुलदीप कुमार, संजय और अर्जुन राघव के साथ मिलकर साजिश रची थी। राघव ने संतोष राय से संपर्क किया और एक साइबर फ्रॉड एक्सपर्ट आकाश चौहान को भी शामिल किया गया। संतोष राय द्वारा एक नोटिस तैयार किया गया था और आकाश चौहान द्वारा ईमेल आईडी ‘rs.ed@nic.in’ द्वारा नोटिस भेजा गया था। उन्होंने बताया कि राय ने ईडी और दिल्ली पुलिस संस्थानों के नंबरों का फर्जीवाड़ा कर पीड़ितों को फोन किया।संतोष राय पूरे भारत में धोखाधड़ी के कई मामलों में शामिल है। उसने ऐसे अपराधों से अर्जित रकम का इस्तेमाल कर एक फिल्म भी बनाई थी। पुलिस ने बताया कि गुसाईं 2002 से पटियाला हाउस कोर्ट में एक लॉ फर्म के चैंबर में काम कर रहा है। वहीं, संजय एक पीड़ित से किराए पर लिए घर में प्रोजेक्टर स्क्रीन बनाने का व्यवसाय चलाता था। पुलिस ने कहा कि उसकी भूमिका पीड़ित को फर्जी नोटिस और कॉल मिलने और धमकी देने के बाद उस पर नजर रखने की थी। उन्होंने बताया कि राघव, अहमद और चौहान फरार हैं और उन्हें पकड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं।