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महावीर मंदिर विवाद बढ़ा, हनुमानगढ़ी से नियुक्‍त महंत महेंद्र दास को न्यासधीश मानने से आचार्य कुणाल ने किया इनकार

राजधानी पटना के महावीर मंदिर में न्यासधीश की कुर्सी को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। हाल ही में हनुमानगढ़ी अयोध्या की ओर से अयोध्या में बैठक कर महावीर मंदिर पटना के सर्वराहकार नियुक्त किये गए महंत महेन्द्रदास ने एक प्रेस विज्ञप्ति के जरिये दावा किया कि वे महावीर मंदिर की शेखपुरा शाखा मठ के अब भी न्यासधारी हैं। उन्हें बेदखल नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय की ओर से उन्हें हटाया नहीं गया है बल्कि नोटिस जारी किया गया है। वे नोटिस का जबाव देंगे।महंत महेन्द्रदास ने महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल पर आरोप लगाया है कि आचार्य कुणाल तथ्यों को तोड़-मरोड़कर मीडिया में प्रस्तुत कर रहे हैं। वे अपना पक्ष न्यायालय में जल्द ही रखेंगे। सच के साथ संत समाज है और जल्द ही पूरा सच सामने आ जाएगा। उन्होंने कहा कि कई सबूतों के साथ संत समाज अब मैदान में आ चुका है और वे मजबूती से अपनी लड़ाई लड़ेंगे। महेन्द्र दास ने यह आरोप लगाया कि आचार्य किशोर कुणाल ने बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड का अध्यक्ष रहते उनको महेन्द्र दास को न्यासधारी बनाया था और अब वे ही इसका विरोध कर रहे हैं। महंत महेन्द्र दास के अनुसार अखिल भारतीय श्रीपंच रामानंदीय निर्वाणी अखाड़ा हनुमानगढ़ी अयोध्या के गद्दीनशीन महंत प्रेमदासजी महाराज ने बिहार सरकार को पत्र लिखकर उनकी सुरक्षा की मांग की है। 

आचार्य किशोर कुणाल बोले- महेन्द्र दास आज की तारीख में न्यासधारी नहीं

महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने कहा है कि महेन्द्र दास आज की तारीख में शेखपुरा शाखा मठ के न्यासधारी नहीं है। बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड ने 5 जून 2021 के आदेश द्वारा महेन्द्र दास को शेखपुरा शाखा मठ का न्यासधारी बनाया था लेकिन 27 अगस्त 2021 को माननीय पटना उच्च न्यायालय ने धार्मिक न्यास बोर्ड के उस आदेश पर रोक लगा दी है। उसका यह सीधा मतलब हुआ कि महेन्द्र दास आज की तारीख में न्यासधारी नहीं हैं। उनको यह सरल बात समझ में नहीं आ रही है।

आचार्य कुणाल ने कहा कि उन्होंने जिस आदेश से उनको न्यासधारी बनाया था उस आदेश को पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की बेंच ने निरस्त कर दिया था। पटना उच्च न्यायालय में चल रही सुनवाई के दौरान धार्मिक न्यास बोर्ड के अधिवक्ता गणपति त्रिवेदी ने  न्यायालय को सूचित किया है कि जस्टिस नवीन सिन्हा के आदेश को छिपाकर महेन्द्र दास ने धार्मिक न्यास बोर्ड से फिर न्यासधारी बनाने का आदेश प्राप्त कर लिया था। महेन्द्र दास की गलत व्याख्या को उच्च न्यायालय के समक्ष अगली सुनवाई के समय संज्ञान में लाया जाएगा।