तालिबान ने तीसरी बार पंजशीर पर जीत का दावा किया है। दूसरी ओर, पंजशीर के लड़ाकों का दावा है कि वे अब भी तालिबानियों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। अब तक दोनों ही पक्ष अपनी-अपनी जीत के साक्ष्य दुनिया के सामने नहीं रख पाए हैं। 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा करने के बाद से तालिबान लगातार पंजशीर को कब्जाने की कोशिश में है पर उसे अबतक कड़ी टक्कर मिलती रही है। जानिए आखिर किसके बूते पंजशीर दे रहा तालिबान को टक्कर…
काबुल के नजदीक होने पर भी तालिबानी हाथों से दूर
यह राजधानी काबुल से मात्र 125 किलोमीटर दूर स्थित सबसे छोटे प्रांतों में से एक है। चारों ओर से हिंदुकुश पर्वत चोटियों से घिरे इस प्रांत को तालिबान विरोधियों का पारंपरिक गढ़ माना जाता है जिसमें सात जिले और करीब डेढ़ लाख लोग रहते हैं।
10 हजार प्रशिक्षित सशस्त्र लड़ाके शामिल
इस प्रांत में तालिबान के खिलाफ नेशनल रेजिस्टेंस फोर्स के जवान खड़े हैं। इस दल में स्थानीय सशस्त्र बल के लोग (मिलिशिया) और पूर्व अफगान सुरक्षा बल शामिल हैं। इसकी संख्या करीब नौ से दस हजार के बीच है। हाल में जारी तस्वीरों से पता लगता है कि ये संगठित ढंग से प्रशिक्षण प्राप्त हैं।
पहली सत्ता में भी तालिबान विरोध का केंद्र बना पंजशीर
सोवियत सरकार के खिलाफ लड़ने के लिए पंजशीर के अहमद शाह मसूद ने नेशनल रजिस्टेंस फोर्स बनायी थी जो अब तालिबान के खिलाफ मोर्चा ले रही है। 1980 में सोवियत को पंजशीर से भगाने के बाद 1996 से 2001 के बीच चले तालिबानी राज में भी पंजशीर को वे नहीं जीत सके थे। आज की तरह ही तब भी यह प्रांत तालिबान विरोध का केंद्र बना था। 2001 में अमेरिका में आतंकी हमला होने से कुछ दिन पहले तालिबानियों ने मसूद की हत्या कर दी
पूर्व राष्ट्रपति समेत अफगानी सैनिक दे रहे साथ
काबुल ढहने के बाद पूर्व राष्ट्रपति अमरुल्ला साहेल और अफगान सरकार के तालिबान के सामने न झुकने वाले सैनिकबल पंजशीर चले गए थे, जहां वे मसूद के नेतृत्व में तालिबान को टक्कर दे रहे हैं।
विदेशों से सहयोग ले रहे स्थानीय नेता
पंजशीर में नेशनल रजिस्टेंस फोर्स का नेतृत्व पंजशीर के ही आदिवासी नेता अहमद मसूद कर रहे हैं जो अहमद शाह मसूद के बेटे हैं। लंदन के किंग्स कॉलेज और सैंडहर्स्ट मिलिट्री एकेडमी से स्नातक अहमद मसूद ने हाल इस साल की शुरूआत में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात करके समर्थन मांगा था। कहा जाता है कि इन दलों को कई बाहरी देश परोक्ष रूप से समर्थन कर रहे हैं। इसके अलावा, हाल में स्थानीय लड़ाकों के प्रमुख नेताओं ने कहा है कि उनका देश नरसहार के करीब है, जिसे संयुक्त राष्ट्र संघ रोके।
पंजशीर की मांग : शासन का तरीका बदले तालिबान
नेशनल रजिस्टेंस फोर्स के प्रवक्ता अली माइसम नाजारी ने समाचार एजेंसी रॉयर्ट्स से कहा कि वे तभी अपनी ओर से शांति वार्ता के लिए तैयार हो सकते हैं, जब तालिबान विकेंद्रीकृत राजनीति करने को राजी हो जाए। यानी इस तरह का शासन करे, जिसमें सामाजिक न्याय, समानता और सभी के स्वतंत्रता हो।
अब तक करीब 800 तालिबानी मारने का दावा
15 अगस्त को काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से पड़ोसी राज्य पंजशीर के लड़ाकों ने अपनी जमीन की सुरक्षा बढ़ा दी थी। पंजशीर में मसूद का दावा है कि अब तक हुईं झड़पों में वे करीब 800 लड़ाकों को मार गिरा चुके हैं।
बिजली-इंटरनेट बंद होने पर भी हिम्मत नहीं हारे
तालिबानियों से साथ करीब 20 दिन से चल रहे संघर्ष के बीच पंजशीर में बिजली और इंटरनेट सुविधाएं बंद कर दी गईं। इसके बावजूद इस समूह ने कड़ी टक्कर जारी रखी। हालांकि सोमवार को तालिबान के प्रवक्ता ने पंजशीर पर पूर्ण अधिकार का दावा करते हुए कहा कि अब ये सेवाएं शुरू हो जाएंगी।