इस बार पंचायत चुनाव में पिछले चुनाव की तुलना में उम्मीदवारों की संख्या घट गई है। इस बार पंचायत चुनाव में वार्ड सदस्य (पंचायत सदस्य) के लिए मुखिया पद से अधिक दावेदारी सामने आयी है। वर्ष 2016 के पंचायत चुनाव की तुलना में इस बार औसतन प्रति प्रखंड 240 उम्मीदवार कम हो गए हैं। इसे कोरोना महामारी का असर व सरकारी योजनाओं के विकेंद्रीकरण से जोड़कर भी देखा जा रहा है।राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव, 2021 के पहले चरण में 10 जिलों के 12 प्रखंडों के उम्मीदवारों से जुड़े आंकड़े जारी किए हैं। पहले चरण के लिए 12 प्रखंडों में सभी छह पदों के लिए कुल 15,328 उम्मीदवारों ने नामांकन किया है। इस प्रकार, प्रति प्रखंड औसतन 1277 उम्मीदवारों ने नामांकन किया। जबकि वर्ष 2016 में पहले चरण में 37 जिलों के 58 प्रखंडों में सभी छह पदों के लिए करीब 88 हजार नामांकन पत्र दाखिल किए गए थे। इस प्रकार, प्रति प्रखंड उस वर्ष 1517 उम्मीदवारों ने नामांकन किया था। यहां ध्यान देने योग्य यह है कि उस वर्ष बिहार में कोरोना जैसी किसी महामारी का प्रकोप नहीं था और न ही सरकारी योजनाओं का विकेंद्रीकरण किया गया था।
मुखिया की जगह वार्ड सदस्य के पदों के लिए ज्यादा दावेदारी
इस बार पंचायत चुनाव में वार्ड सदस्य (पंचायत सदस्य) के लिए मुखिया पद से अधिक दावेदारी सामने आयी है। जबकि 2016 में मुखिया के पद के लिए दावेदारी अधिक थी और वार्ड सदस्य के कई पद रिक्त रह गए थे। जिससे उपचुनाव कराना पड़ा था। आयोग के अनुसार पहले चरण के चुनाव में इस वर्ष वार्ड सदस्य के सर्वाधिक 8611 उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र दाखिल किया है, जबकि वार्ड सदस्य के कुल 2233 हैं।
वार्ड सदस्यों की विभिन्न योजनाओं में बढ़ी भागीदारी
राज्य सरकार द्वारा निश्चय योजनाओं के क्रियान्वयन में वार्ड सदस्यों की भागीदारी पंचायतों में बढ़ी है। वर्ष 2016 के पंचायत चुनाव के दौरान ग्राम पंचायत में मुखिया की भूमिका केंद्रीय रूप से अधिक सशक्त थी। मुखिया को पंचायत में ग्राम सभा की सहमति लेकर नई योजनाओं के लागू करने सहित कई अधिकार मिले हुए थे। तब, वार्ड सदस्यों की भूमिका नगण्य थी। नल-जल योजना में वार्ड सदस्य ही अब अनुरक्षक होंगे, जिन्हें दो हजार रुपये प्रतिमाह मेहनताना भी मिलेगा।